सारांश
‘स्मार्ट’ डिजिटल तकनीकों का उपयोग वैश्विक स्तर पर तेजी से वनों के प्रबंधन, निगरानी और रूपांतरण के लिए किया जा रहा है। यह तकनीकीकरण ऐसे समय में हो रहा है जब वनों को विशेष रूप से कार्बन और जैव विविधता के पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करने के उपकरण के रूप में देखा जा रहा है। स्मार्ट फॉरेस्ट्स (Smart Forests) नामक शोध परियोजना यह अध्ययन करती है कि कैसे कैमरा ट्रैप्स, इको-अकूस्टिक्स, जीपीएस और रिमोट सेंसर्स जैसी उभरती तकनीकें वनों में फैल रही हैं और उनके सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव क्या हैं या हो सकते हैं ? हम संबंधित साहित्य का अध्ययन कर यह पूछेंगे कि ये तकनीकें वन समुदायों द्वारा उनके साथ और उनके खिलाफ कैसे उपयोग की जा रही हैं । इसके बाद हम चार देशों चिली, इंडोनेशिया, नीदरलैंड्स और भारत में अपने केस स्टडी शोध से प्राप्त चार कहानियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिनमें समुदायों की इन तकनीकों के साथ सहभागिता को दर्शाया गया है। हम देखते हैं कि कैसे शासन और नेटवर्क में बदलाव आ रहे हैं? समुदायों, राज्यों और तकनीकी कंपनियों के बीच शक्ति समीकरण कैसे बदल रहे हैं ?वनों को समझने और जानने के तरीकों में कैसे परिवर्तन हो रहा है और इन तकनीकों का वितरण समुदायों के भीतर और उनके बीच कैसे असमान रूप से हो रहा है? इन निष्कर्षों के आधार पर हम ऐसी रणनीतियों का प्रस्ताव करेंगे जो विविध समुदाय-नेतृत्व वाले वन तकनीकी दृष्टिकोणों को प्रभावी ढंग से डिज़ाइन, लागू और समर्थित करने में सहायक हों। हमारा उद्देश्य है कि समुदायों, जनता, नीति निर्माताओं, उद्योगों और गैर-सरकारी संगठनों को वानिकी तकनीकों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम बनाया जाए चाहे वे इन तकनीकों के उपयोगकर्ता, नियंत्रक, वित्तपोषक या डेवलपर हों। हमें आशा है कि यह शोध एक ऐसे समय में, जब पृथ्वी पर व्यापक बदलाव हो रहे हैं, न्यायसंगत और समृद्ध वन-विश्वों के निर्माण में योगदान देगा।


स्मार्ट फॉरेस्ट्स फिल्म में बुकीट बारिसन वन और एवेन्ज़ा ऐप का उपयोग दिखाया गया है। बुजांग राबा, इंडोनेशिया। स्मार्ट वनों के साथ फिल्म पर ध्यान दें, 2025.
परिचय: समुदाय -आधारित वन प्रौद्योगिकियां
ध्यान से देखिए-सुनिए कि अब वन डिजिटल तकनीकों के एकत्रित होने के केंद्र बनते जा रहे हैं। ड्रोन वृक्षों की छतरी के ऊपर मंडराते हैं, उपग्रह पेड़ों की छाया की धुंधली छवियाँ भेजते हैं, रोबोट रोपण के नियमों के तहत धरती को जोतते हैं, सेंसर वनों के अंतर्नाद को सुनते हैं, कैमरा ट्रैप किसी जीव की चमकती आँखें दर्ज करते हैं और रात के अंधेरे में देह की गर्मी को पहचानते हैं।
‘स्मार्ट’ वन तकनीकें अब तेजी से फैल रही हैं जो जलवायु तकनीक, प्रकृति तकनीक और डिजिटल पारिस्थितिक तंत्रों के व्यापक संदर्भ में उभर रही हैं। फिर भी, ‘स्मार्ट सिटी’ जैसे शब्द आम हो चुके हैं जिनमें डिजिटल समाधान पारंपरिक शहरी सेवाओं को बेहतर बनाते हैं या उन्हें प्रतिस्थापित करते हैं । वहीं ‘स्मार्ट वन’ की अवधारणा अभी आकार ले रही है।
नीति, उद्योग, सार्वजनिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में ‘स्मार्ट’ और ‘वन’ जैसे शब्द तरल, बहुआयामी और बहुस्तरीय हैं । हमारे शोध में हमने इन शब्दों को उनके प्रयोग और सक्रिय होने वाले व्यवहारों के आधार पर समझा, न कि किसी एक परिभाषा तक सीमित किया। ‘स्मार्ट वन’ से हमारा तात्पर्य उन विविध डिजिटल तकनीकों और ढाँचों से है जो अब वनों का प्रबंधन, निगरानी, नेटवर्किंग और पुनर्निर्माण कर रहे हैं । वनों को संसाधनों के लिए अनुकूलित करने, पर्यावरणीय बदलाव का पता लगाने, और वन हानि की स्थिति में हस्तक्षेप करने के प्रयासों में निमग्न है ।
स्मार्ट वन दुनिया भर में पाए जा सकते हैं चाहे दूरस्थ क्षेत्र हों या शहरी स्थान। लेकिन इनकी बढ़ती उपस्थिति के बावजूद इन तकनीकों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया गया है। पर्यावरणीय क्षेत्रों में ये तकनीकें तटस्थ नहीं हैं बल्कि इनके गहरे सामाजिक-राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं । हमारे प्रमुख प्रश्न इन प्रभावों पर केंद्रित हैं:
- स्मार्ट वन तकनीकें पर्यावरणीय निगरानी, प्रबंधन और शासन प्रक्रियाओं को कैसे बदल रही हैं?
- वन आधारित जीवन, संरक्षण, पुनरुत्थान और मनोरंजन से जुड़े समुदायों पर इन स्मार्ट वन तकनीकों का सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव क्या पड़ रहा है?
- समुदाय-आधारित वन तकनीकों के ज़रिए अधिक न्यायसंगत वन संबंधों और प्रथाओं को कैसे विकसित और बनाए रखा जा सकता है?
हमारे शोध का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि स्मार्ट वन तकनीकें स्थानीय समुदायों की आपसी गतिशीलता,मिलनसारिता, वन के साथ उनके संबंधों, उत्साह,लगाव, आजीविकाओं और राज्य व उद्योगों से उनके संबंधों को कैसे प्रभावित कर रही हैं।
‘स्मार्ट’ और ‘वन’ जैसे शब्दों की तरह हम समुदाय को भी व्यापक रूप में समझते हैं। समुदाय स्थानीय और भौगोलिक रूप से सीमित हो सकते हैं, लेकिन वे डिजिटल, भौगोलिक रूप से बिखरे हुए और आत्म-निर्धारित भी हो सकते हैं। वे शासन के विभिन्न स्तरों को पार कर सकते हैं या मनुष्यों के अतिरिक्त जीवों को भी शामिल कर सकते हैं। कुछ समुदाय भागीदारीपूर्ण परियोजनाओं से बनते हैं या किसी तकनीक को लागू करने के उद्देश्य से बनते हैं। वे क्षणिक, प्रासंगिक या स्थायी हो सकते हैं।
यह अंतरिम रिपोर्ट समुदायों, जनता, नीति-निर्माताओं, उद्योगों और एनजीओ को इन सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करना चाहती है क्योंकि वे सभी इन तकनीकों के उपयोगकर्ता, नियामक, निवेशक और विकासकर्ता हैं। इस रिपोर्ट में हम यह दर्शाते हैं कि कैसे वन डिजिटल वातावरण बनते जा रहे हैं, और कैसे विविध समुदाय इन तकनीकों के साथ जुड़ रहे हैं और इनसे प्रभावित हो रहे हैं। हम यह भी मानते हैं कि डिजिटल तकनीकें केवल एक प्रकार की तकनीक हैं जो वनों में प्रयुक्त हो सकती हैं — पारंपरिक, एनालॉग और पारिस्थितिक तकनीकें भी उतनी ही महत्वपूर्ण हो सकती हैं। यह रिपोर्ट चिली, भारत, इंडोनेशिया और नीदरलैंड में चार केस स्टडी स्थलों पर स्मार्ट वन तकनीकों की तैनाती का दस्तावेज और विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इसे अंतरिम रूप में प्रकाशित किया जा रहा है ताकि समुदायों, नीति-निर्माताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के बीच संवाद उत्पन्न हो जो इस रिपोर्ट के अंतिम संस्करण को आकार देने में सहायक होगा। अंतिम संस्करण में ब्रिटेन में समुदाय-नेतृत्व वाली तकनीकों और भू-दृश्य पुनरुत्थान पर हमारी पाँचवीं केस स्टडी भी शामिल की जाएगी।
पिछले दो दशकों में वन प्रबंधन और बड़े पैमाने पर पुनर्वनीकरण के माध्यम से पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए नीति हस्तक्षेपों में वृद्धि हुई है। जैव विविधता, जल, वायु और कार्बन चक्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वन अब पर्यावरणीय कार्रवाई के प्रमुख पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभर रहे हैं। हालांकि इस अवधि में कई लक्ष्य पूरे नहीं हो सके जैसे कि वैश्विक स्तर पर किसी भी आइची लक्ष्य (2011-2020) की पूर्ण प्राप्ति नहीं हुई और न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन ऑन फॉरेस्ट्स (2014) के प्रारंभिक लक्ष्यों को भी हासिल नहीं किया जा सका ,फिर भी अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ और प्रतिज्ञाएँ जारी हैं। 2019 में संयुक्त राष्ट्र पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन दशक के हिस्से के रूप में 35 करोड़ हेक्टेयर क्षतिग्रस्त भूमि को पुनर्स्थापित करने का प्रस्ताव आया और 2021 में ग्लासगो डिक्लेरेशन ऑन फॉरेस्ट्स (COP26) में 2030 तक अवैध वनों की कटाई को रोकने के लिए समझौते शामिल किए गए जिससे न्यूयॉर्क घोषणा को बल मिला।
ऐसे पर्यावरणीय लक्ष्यों की पूर्ति और वैधता के लिए अब सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों द्वारा वनों की निगरानी और प्रबंधन हेतु डिजिटल तकनीकों को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है। तकनीकी कंपनियाँ और शोधकर्ता पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए डिजिटल तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जैसे AI for Earth के माध्यम से रिमोट-सेंसिंग और डेटा संग्रह या सेंसर आधारित ‘इंटरनेट ऑफ ट्रीज़’ की पहल। डिजिटल तकनीकों से लॉगिंग गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सकती है, संसाधनों का कुशल उपयोग किया जा सकता है, शहरी वन नेटवर्क का मानचित्रण किया जा सकता है, कार्बन कैप्चर की निगरानी की जा सकती है, और वनों के स्वास्थ्य तथा रोगों का आकलन किया जा सकता है। ‘फॉरेस्ट डिजिटल ट्विन्स’ यानी वास्तविक वनों की वर्चुअल प्रतिकृतियाँ तैयार की जा रही हैं, ताकि संरचना में संभावित बदलावों की भविष्यवाणी की जा सके और भविष्य के परिदृश्यों को मॉडल किया जा सके। दुनिया भर में बढ़ती वनाग्नियों के कारण वायरलेस सेंसर नेटवर्क, ड्रोन और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का प्रयोग वास्तविक समय में आग को पहचानने और बुझाने के लिए किया जा रहा है।
हमारा उद्देश्य इस शोध में न तो केवल स्मार्ट वनों की वकालत करना है और न ही केवल आलोचना करना। बल्कि हम यह दर्शाना चाहते हैं कि स्मार्ट वन कैसे अधिक या कम रहने योग्य दुनिया का निर्माण कर रहे हैं और किन तरीकों से ? इस रिपोर्ट का प्रमुख उद्देश्य यह दस्तावेज़ीकरण करना और ऐसी रणनीतियाँ प्रस्तुत करना है, जिनसे समुदाय-नेतृत्व वाले वन तकनीकी प्रयासों को प्रभावी ढंग से डिज़ाइन, लागू और समर्थित किया जा सके। आगे के अनुभागों में हम अपने प्रमुख प्रश्नों और निष्कर्षों को उजागर करते हैं, समानांतर शोध और नीतियों के संदर्भ में अपने योगदान को रखते हैं और फिर भारत, चिली, इंडोनेशिया और नीदरलैंड की चार केस स्टडी कहानियों के माध्यम से अपने शोध को प्रस्तुत करते हैं। इन समुदायों, निवासियों और श्रमिकों के साथ संवाद के आधार पर हम यह बताते हैं कि वन तकनीकों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों को कैसे संबोधित किया जा सकता है और कैसे समुदाय इन तकनीकों के साथ मिलकर जीवंत और न्यायसंगत वन पारिस्थितिक तंत्र बना सकते हैं ।


मुख्य निष्कर्ष: न्यायसंगत और समृद्ध वन संसार सुनिश्चित करना
1) स्मार्ट वन तकनीकें वनों से जुड़ाव और आजीविकाओं को बदल रही हैं
हमारे शोध में पाया गया कि स्मार्ट वन तकनीकें यह प्रभावित कर रही हैं कि समुदाय वनों से अपनी आजीविका के लिए कैसे जुड़ते हैं। ये तकनीकें वनों को दोहन योग्य संसाधन के रूप में समझने की प्रवृत्ति को तेज़ करती हैं।
उदाहरण के लिए रिमोट ऑब्जर्वेशन टूल्स का उपयोग करके समुदाय वनों की निगरानी कर सकते हैं और कार्बन क्रेडिट के रूप में उनका मुद्रीकरण कर सकते हैं। लेकिन ये उपकरण यह भी तय करते हैं कि वनों को कैसे देखा और मूल्यांकित किया जाए, जिससे स्थानीय और आदिवासी ज्ञान की विविध समझ छिप सकती है यदि तकनीकों को सावधानीपूर्वक डिज़ाइन और लागू नहीं किया गया।
इसी तरह प्रजातियों की पहचान करने वाले ऐप्स जैसी तकनीकें वन्यजीवों के बारे में ज्ञान बढ़ा सकती हैं और प्रतिष्ठित प्रजातियों के संरक्षण से जुड़ी नौकरियों के अवसर प्रदान कर सकती हैं। लेकिन इससे कम आकर्षक जीवों की उपेक्षा भी हो सकती है। साथ ही ये तकनीकें केवल उन प्रजातियों को प्राथमिकता दे सकती हैं जो आसानी से देखी जा सकती हैं, जबकि अदृश्य लेकिन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय संबंधों की अनदेखी हो सकती है, जो वन समुदायों के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं।
2) स्मार्ट वन तकनीकों का वितरण असमान है और संसाधनों की कमी आम है
स्मार्ट वन तकनीकों तक पहुंच में असमानता चाहे वह समुदायों के भीतर हो या उनके बीच जानकारी और शक्ति के असंतुलन को जन्म देती है । यह असमानता वित्त, मानव संसाधन और डिजिटल ज्ञान की कमी के कारण और अधिक बढ़ सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पहले से ही संसाधनों की कमी है।
कई समुदायों में यह पाया गया कि स्मार्ट तकनीकें विशेष पीढ़ियों, लिंगों या शिक्षा स्तर के लोगों द्वारा अधिक उपयोग में लाई जा रही हैं जिससे समुदाय के भीतर सत्ता संबंधों में बदलाव या खिंचाव आ सकता है।
साथ ही कुछ समुदायों को स्मार्ट तकनीकों के लिए अधिक सरकारी या निजी सहायता मिलती है, विशेषकर यदि वे ‘आइकॉनिक फॉरेस्ट’ (जैसे अमेज़न) में रहते हैं, जिन्हें वैश्विक ध्यान मिला है। बेहतर भाषा, कौशल या समर्पित स्टाफ वाले समुदाय धनराशि पाने में अधिक सक्षम हो सकते हैं। इससे अन्य समुदायों की उपेक्षा हो सकती है और असमानता और गहरी हो सकती है।
कभी-कभी, केवल कुछ समुदायों को तकनीकी संसाधन मिलने पर अवैध कटाई जैसी गतिविधियाँ आस-पास के उन क्षेत्रों में स्थानांतरित हो जाती हैं, जहाँ इन तकनीकों की पहुँच नहीं है जैसा कि ब्राजील के एक पर्यावरण संगठन ने हमारे शोध में बताया।
3) स्मार्ट वन तकनीकें वन शासन को बदल रही हैं
चूंकि बड़ी तकनीकी कंपनियां अक्सर इन तकनीकों को डिज़ाइन और नियंत्रित करती हैं, वन प्रशासन में भी बदलाव देखने को मिलते हैं समुदायों या सरकारी निकायों से हटकर स्टार्टअप और ‘बिग टेक’ कंपनियों की ओर। कार्बन और जैव विविधता बाज़ारों के बढ़ते प्रभाव के कारण निजी क्षेत्र की भागीदारीता भी बढ़ी है। अब सरकारें और समुदाय उन तकनीकों पर निर्भर होते जा रहे हैं जो निजी कंपनियों के स्वामित्व में हैं।
उदाहरण के लिए चिली की राष्ट्रीय वन संस्था (CONAF) व्हाट्सऐप का उपयोग करके आग की चेतावनी और आपातकालीन सहायता का समन्वय करती है। इस प्रकार की निर्भरता से यह सवाल उठता है कि क्या सार्वजनिक सेवाएं निजी तकनीकी अवसंरचनाओं पर इतनी निर्भर हो सकती हैं, जिनकी पहुंच और स्थिरता संकट के समय पर संदेहास्पद हो सकती है।
4) स्मार्ट वन तकनीकें समुदायों, सरकारों और तकनीकी कंपनियों के बीच सत्ता संबंधों को बदल रही हैं
राज्य और कंपनियां इन तकनीकों का उपयोग न केवल पर्यावरण पर निगरानी के लिए कर रही हैं, बल्कि समुदायों पर नियंत्रण और निगरानी के लिए भी कर सकती हैं। डेटा का स्वामित्व, गोपनीयता और दुरुपयोग जैसे मुद्दे लगातार सामने आ रहे हैं।
हालांकि, कुछ मामलों में ये तकनीकें पारंपरिक सत्ता-संरचनाओं को चुनौती भी दे सकती हैं। उदाहरण के लिए, समुदाय इन उपकरणों का उपयोग अपनी भूमि को मैप करने और भूमि अधिकारों का दावा करने के लिए कर सकते हैं। लेकिन यह भी देखा गया है कि किस समुदाय द्वारा प्रमाण प्रस्तुत किया गया है, इस आधार पर उसका प्रभाव अलग-अलग हो सकता है जिससे असमानता बनी रहती है।
5) स्मार्ट वन तकनीकें वन समुदायों के बीच नेटवर्क को मजबूत कर सकती हैं
डिजिटल तकनीकें विभिन्न स्थानों के समुदायों को जोड़ सकती हैं और ज्ञान साझा करने के नए अवसर प्रदान कर सकती हैं।
शिक्षा, संरक्षण और आपदा प्रतिक्रिया के लिए डिजिटल नेटवर्क समुदायों को जोड़ सकते हैं, चाहे वे ग्रामीण हों या शहरी, या विभिन्न देशों से हों। उदाहरणों में शामिल हैं करिपुना लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन या ममल वेब जैसी पहल जिसमें शहरी नागरिक वैज्ञानिक वन क्षेत्रों की कैमरा ट्रैप निगरानी में भाग लेते हैं।
हालांकि ऐसे डिजिटल नेटवर्क कुछ जटिलताएं भी उत्पन्न करते हैं। ये यह प्रश्न उठाते हैं कि क्या सभी समुदायों के पास संसाधन, समय और क्षमता है कि वे इन नेटवर्कों में बराबरी से भाग ले सकें। इसके अलावा, यदि ये नेटवर्क निजी ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स पर आधारित हैं, तो समुदायों की भूमिका सीमित रह सकती है, और उनकी डिजिटल संप्रभुता पर सवाल उठ सकता है।


हम क्या पढ़ते हैं: समुदाय, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण
इस रिपोर्ट को तैयार करते समय, हमने समुदाय-आधारित स्मार्ट फॉरेस्ट से जुड़ी नीतियों और ग्रे साहित्य (अप्रकाशित या सीमित रूप से वितरित जानकारी) का विश्लेषण किया, जो हमारे अकादमिक साहित्य की चल रही समीक्षा का पूरक रहा। हमने चालीस से अधिक नीति और ग्रे साहित्य के दस्तावेज़ों की समीक्षा की, जिनमें पर्यावरण, सामाजिक भागीदारी और प्रौद्योगिकी से संबंधित विविध विषय शामिल थे। ये दस्तावेज़ समुदायों या फंडिंग एजेंसियों के लिए बनाए गए आसान टूलकिट से लेकर नीति निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के लिए तैयार किए गए अत्यधिक तकनीकी लेखों तक फैले हुए थे। हमारे खोज शब्दों में शामिल थे: स्मार्ट फॉरेस्ट, समुदाय, कार्बन, स्मार्ट कृषि, पृथ्वी अवलोकन, डिजिटल फॉरेस्ट, जंगल की आग, जैव विविधता और पर्यावरण निगरानी। यह महत्वपूर्ण है कि यह समीक्षा ग्रे साहित्य के केवल एक चयनित हिस्से को दर्शाती है और इसे पूरी तरह से समग्र नहीं माना जा सकता।
इन प्रकाशनों ने विशेष रूप से यह सुझाव देकर उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान की कि कैसे विभिन्न समुदायों को तकनीकों या उनके स्थानीय पर्यावरण के साथ समान रूप से जोड़ा जा सकता है। इन सिद्धांतों ने हमारे समुदाय-नेतृत्व वाले वन प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान को आकार देने और रिपोर्ट के अंत में प्रस्तुत नीति विचारों को निर्देशित किया।
हम ग्रे साहित्य की रचनात्मक डिजाइन और सामग्री से भी प्रेरित हुए। उदाहरण के लिए कुछ प्रकाशन समुदायों को अपने मानचित्रण टूल का उपयोग करने और उन्हें ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर साझा करने के लिए आमंत्रित करते हैं या फिर दृश्य और श्रव्य मीडिया को पाठ के साथ संवाद में रखते हैं (जैसे ODI की रिपोर्ट पॉवर, इकोलॉजी और डिप्लोमेसी इन क्रिटिकल डाटा इंफ्रास्ट्रॅक्चर )। हमने अपने पाठकों को आकर्षित करने और सोच की नई दिशाओं को प्रोत्साहित करने की आशा से अपनी रिपोर्ट में इन रचनात्मक अभ्यासों को अपनाया है।
ग्रे साहित्य में तीन प्रमुख विषय उभरे:
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव
- समुदायों की पर्यावरण के साथ भागीदारिता
- प्रौद्योगिकियां और पर्यावरण
हालाँकि इन क्षेत्रों के दस्तावेज़ों में स्पष्ट निष्कर्ष दिए गए, लेकिन कुछ ही दस्तावेज़ थे जो इन तीनों विषयों को एक साथ संबोधित करते हैं। जिनमें ऐसा किया गया, वे या तो किसी एक स्थान पर केंद्रित थे (जैसे GSM एसोसिएशन का केन्या में सह-डिज़ाइन पर आधारित पेपर ‘मोबाइल टेक्नोलॉजी फॉर पर्टिसिपेटरी फॉरेस्ट मैनेजमेंट’) या फिर केवल समुदायों के लिए व्यावहारिक उपयोग हेतु तैयार किए गए थे (जैसे ‘रैनफॉरेस्ट टेक प्राइमर्’ जिसे ‘द इंजिन रूम’ और ‘रैनफॉरेस्ट फाउंडेशन नॉर्वे’ ने तैयार किया)।
इस रिपोर्ट का उद्देश्य इन तीनों विषयों: वन पर्यावरण, समुदायों और प्रौद्योगिकियों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभावको जो ड़ना है। यह केवल एक स्थान पर केंद्रित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों से अंतर्दृष्टियों को संकलित करता है और इसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों, नीति निर्माताओं, गैर-सरकारी संगठनों, उद्योग विशेषज्ञों, फंडिंग एजेंसियों, पत्रकारों, शोधकर्ताओं और आम जनता सहित व्यापक दर्शकों तक पहुंचना है।
डिजिटल प्रौद्योगिकियों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव
हमारी ग्रे साहित्य समीक्षा में कई लेख डिजिटल प्रौद्योगिकियों के वितरण और उपयोग की समानता पर केंद्रित थे। उदाहरण के लिए ‘प्रोमिसिंग ट्रबल’ नामक सामाजिक उद्यम की रिपोर्ट ‘एफोरडेबल, एक्सेसेबल, इसी टू यूस’ डिजिटल पहुंच को स्वास्थ्य का एक “सुपर-सामाजिक निर्धारक” मानती है। यह रिपोर्ट आर्थिक बाधाओं को हटाने और समावेशी-डिज़ाइन का एक मानक अपनाने का प्रस्ताव रखती है, जिसमें गैर-डिजिटल विकल्प भी शामिल हों।
कुछ रिपोर्टें डिजिटल तकनीकों के उन लोगों के लिए उपलब्धता की चुनौतियों पर भी ध्यान देती हैं जो निरक्षर हैं (जैसे ‘मेप्पिंग फॉर राइटस्’)। जहां अधिकतर दस्तावेज़ डिजिटल समावेशन और बहिष्करण जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, वहीं हमने डिजिटल प्रौद्योगिकी का वितरण और पहुंच जैसी अधिक समावेशी और बहुविध अवधारणा को अपनाया है, जिससे तकनीकी जुड़ाव की विविध संभावनाओं को समझा जा सके।
तकनीक के समुदायों के साथ सह-निर्माण पर भी कई रिपोर्टें केंद्रित थीं। इसमें समुदायों के साथ मिलकर विकसित की गई तकनीकों को अधिक प्रभावी, समावेशी और स्थायी माना गया। डाटा एंड सोसाइटी की रिपोर्ट डेमोक्रेटाइज़िंग एआई जैसे दस्तावेज़ों ने इसे लागू करने के व्यावहारिक सुझाव दिए। हालांकि AI के लोकतांत्रीकरण को लेकर कुछ आलोचनाएं भी थीं कि यह तकनीक महंगी, ऊर्जा-गहन और तकनीकी रूप से जटिल है, जिससे यह सभी के लिए सुलभ नहीं हो सकती।
इस खंड में कुछ रिपोर्टें डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे फाइबर-ऑप्टिक केबल, सैटलाइट और डेटा सेंटर्स के सामाजिक-राजनीतिक जोखिमों पर भी केंद्रित थीं। जैसे ODI ने दिखाया कि इंटरनेट की भौतिक अवसंरचना जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक शक्तियों की दृष्टि से कितनी संवेदनशील है।
यह साहित्य डिजिटल ढांचे के सामाजिक-राजनीतिक निहितार्थों को उजागर करता है और दिखाता है कि कैसे समुदायों को स्मार्ट फॉरेस्ट तकनीकों के सह-निर्माण में बेहतर ढंग से शामिल किया जा सकता है।
पर्यावरण से समुदाय की भागीदारी
समीक्षा के दौरान कई दस्तावेज़ समुदायों की पर्यावरणीय भागीदारी को बढ़ाने पर केंद्रित थे जैसे भूमि संरक्षण, सामाजिक रूप से न्यायसंगत भूमि उपयोग, बदलाव और पर्यावरणीय मुद्दों पर जन-संवाद।
इनमें से कई दस्तावेज़ मार्गदर्शिकाएं या टूलकिट के रूप में थे और सीधे समुदायों के लिए लिखे गए थे। उदाहरण के लिए, कम्युनिटी सेंटिनल्स की मेथडोलॉजी गाइड फॉर कम्युनिटी पार्टिसिपेटरी मॉनिटरिंग को चित्रों और रचनात्मक पृष्ठों के साथ इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वह विविध समुदायों को आकर्षित कर सके। यह निगरानी को सामूहिक देखभाल का कार्य बताती है, जिसमें समुदाय अपने इंद्रियों के माध्यम से जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय जोखिम और सांस्कृतिक परिदृश्य से जुड़ते हैं।
कुछ रिपोर्टों ने नीति निर्माताओं और संगठनों को सुझाव दिए कि वे समुदायों के साथ सार्थक जुड़ाव कैसे बनाएं। इनमें शामिल थे भरोसेमंद संदेशों को समर्थन देना, दीर्घकालिक साझेदारी बनाना, शक्ति और संसाधनों का स्थानीय वितरण और समन्वित शासन व्यवस्था बनाना। कुछ रिपोर्टें कल्पनाशील निर्णय निर्माण विधियों की वकालत करती हैं जैसे मॉरल इमेजिनिंग जो निर्णय प्रक्रिया में प्रकृति, भविष्य की पीढ़ियों और पूर्वजों को शामिल करने की बात करती है । वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया की रिपोर्ट सोशली जस्ट लैंडस्केप रेस्टोरेशन इन द स्कॉटिश हाइलैंड्ससामाजिक न्याय को केंद्र में रखकर भूमि पुनरुद्धार की वकालत करती है।
यह साहित्य समुदायों की आवाज़ को प्राथमिकता देने के व्यावहारिक और रचनात्मक तरीकों को उजागर करता है और यह समझने में मदद करता है कि पर्यावरणीय परियोजनाएं स्थानीय समुदायों की आजीविका, स्वास्थ्य और भलाई पर कैसे असर डाल सकती हैं।
प्रौद्योगिकियां और पर्यावरण
इस खंड में हमने तकनीकी और पर्यावरणीय पहलुओं पर केंद्रित दस्तावेज़ पढ़े, खासकर वनों को लेकर। इनमें जलवायु-स्मार्ट वानिकी और कृषि, वन अग्नि प्रबंधन हेतु रिमोट सेंसिंग और जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूलन और न्यूनीकरण तकनीकों पर ध्यान दिया गया।
कई दस्तावेज़ तकनीकी रूप से अत्यधिक जटिल थे और मुख्य रूप से नीति निर्माताओं, विधायकों और शोधकर्ताओं के लिए तैयार किए गए थे। उदाहरण के लिए FAO, ILO और UNECE द्वारा लिखी गई रिपोर्ट ऑक्युपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ इन द फ्यूचर ऑफ फॉरेस्ट्री वर्क दिखाती है कि कैसे नई तकनीकों, जलवायु परिवर्तन और जनसांख्यिकी परिवर्तनों के कारण वानिकी क्षेत्र में कार्य की प्रकृति बदल रही है। यह रिपोर्टें बताती हैं कि रोबोटिक्स, थकान पहचान प्रणाली और रिमोट सेंसर जैसी तकनीकें एक ओर जहां नौकरियों को प्रभावित कर सकती हैं, वहीं दूसरी ओर कार्य सुरक्षा में सुधार भी ला सकती हैं।
हालांकि, इन दस्तावेज़ों की तकनीकी भाषा और जटिलता यह संकेत देती है कि कई स्मार्ट फॉरेस्ट तकनीक के विकासकर्ता और नियामक शायद समुदायों या जनता को अपनी योजनाओं में शामिल नहीं कर रहे हैं।
हमारा योगदान
जहां प्रौद्योगिकियों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव, समुदाय की भागीदारिता और तकनीकी पर्यावरणीय नवाचारों पर काफी ग्रे साहित्य मौजूद है, वहीं तीनों विषयों को एक साथ जोड़ने वाले दस्तावेज़ बहुत ही कम हैं। हमारी स्मार्ट फोरेस्ट्स रिपोर्ट इस अंतर को भरने का प्रयास करती है। यह रिपोर्ट यह दिखाने के लिए तैयार की गई है कि कैसे समुदाय की भागीदारिता और नेतृत्व स्मार्ट फॉरेस्ट तकनीकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमारा उद्देश्य है कि यह रिपोर्ट विभिन्न दर्शकों स्थानीय समुदायों, नीति निर्माताओं, एन.जी.ओ., उद्योग, तकनीकी और अनुसंधान फंडिंग संस्थाओं, पत्रकारों, शिक्षाविदों और आम जनता के लिए उपयोगी होऔर वन प्रबंधन के क्षेत्र में नई साझेदारियों और संवाद की प्रेरणा बने।


हमने शोध कैसे किया
हमने स्मार्ट जंगलों पर अपना शोध दो चरणों में किया।
पहले चरण में, हमने प्रमुख स्मार्ट जंगल तकनीकों और पहलों का सर्वेक्षण किया। यह सर्वेक्षण डेस्क आधारित शोध, साक्षात्कार और क्षेत्र कार्य के माध्यम से किया गया। हमने डेटा विश्लेषण और विज़ुअलाइज़ेशन तकनीकों, ऐप्स, प्लेटफार्मों, सेंसर और ड्रोन जैसी प्रमुख स्मार्ट जंगल तकनीकों की पहचान, परीक्षण और विश्लेषण किया। हमने इन तकनीकों का परीक्षण और अध्ययन किया ताकि उनकी कार्यप्रणाली, उपलब्धता और नेटवर्क आवश्यकताओं को समझा जा सके।
स्मार्ट जंगल पहलों का हमारा सर्वेक्षण रोमानिया के कार्पेथियन पहाड़ों से लेकर अमेज़न वर्षा वनों तक फैला था। इस शोध ने दिखाया कि स्मार्ट जंगल अवलोकन, डेटा संग्रह, भागीदारी, स्वचालन, अनुकूलन, विनियमन और परिवर्तन की नई प्रक्रियाएं कैसे उत्पन्न करते हैं।
स्मार्ट जंगलों के उभरते परिदृश्य पर विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने के लिए, शोध दल ने तकनीकी विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, समुदाय के सदस्यों, कार्यकर्ताओं, रचनात्मक पेशेवरों और स्मार्ट जंगल तकनीकों के उपयोगकर्ताओं का साक्षात्कार किया। हमने इन साक्षात्कारकर्ताओं को उनके विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर चुना। 60 से अधिक साक्षात्कार « स्मार्ट फॉरेस्ट्स रेडियो » पर छोटे पॉडकास्ट के रूप में सुने जा सकते हैं। पहले चरण के दौरान, शोध दल ने पर्यावरण परिवर्तन से संबंधित स्मार्ट वातावरण और स्मार्ट जंगलों पर साहित्य की भी समीक्षा की।

स्मार्ट वन अनुसंधान के दूसरे चरण में पांच एकीकृत केस अध्ययन तैयार करने के लिए गहन फील्डवर्क शामिल है। इन केस अध्ययनों से पता चलता है कि किस प्रकार विविध समुदाय अपने वन जगत में डिजिटल प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों का सामना कर रहे हैं और उनसे जुड़ रहे हैं। बहु-स्थलीय फील्ड वर्क हमें विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक परिवेशों में प्रौद्योगिकियों के उपयोग और प्रयोग की तुलना करने का अवसर देता है। यह अंतरिम रिपोर्ट चर्चा और टिप्पणी के लिए चार अध्ययन प्रस्तुत करती है। ये चार केस अध्ययन अलग-अलग क्षेत्र स्थलों पर किए गए हैं जिनमें चिली, केला, अराउकेनिया में पालगुइन वाटरशेड में तेजी से आग की आशंका वाले जंगल शामिल हैं नीदरलैंड के दक्षिण-पूर्व में एक इकोविलेज और जीवित प्रयोगशाला इंडोनेशिया का बुकिट बरिसन वन और भारत के उत्तराखंड में विवादित राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की सीमावर्ती भूमि। हम इस पहली अंतरिम रिपोर्ट के प्रकाशन से प्राप्त टिप्पणियों की समीक्षा करेंगे और उन पर विचार करेंगे तथा उन्हें पांचवें केस अध्ययन में शामिल करेंगे, जिसे हम वर्तमान में यूके में भूदृश्य पुनर्जनन के क्षेत्र में विकसित कर रहे हैं।
दूसरे चरण में, हम साक्षात्कार जैसे अधिक पारंपरिक शोध विधियों के साथ-साथ नवीन शोध पद्धतियों को भी अपनाते हैं। सहभागी कार्यशालाओं और स्मार्ट वन फील्ड स्कूलों ने स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के बारे में मूल ‘लाइव’ डेटा उत्पन्न करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया है। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को संवाद में शामिल करने के लिए ड्रोन और नागरिक ऐप जैसी प्रौद्योगिकियों का व्यावहारिक प्रदर्शन किया है। उदाहरण के लिए, डच इकोविलेज में, शोधकर्ताओं ने कार्यशाला प्रतिभागियों को जैव विविधता डेटा से जुड़े क्यूआर कोड को स्कैन करने और स्थानीय जैव विविधता निगरानी पर खुली चर्चा को प्रोत्साहित किया। इस बीच भारत के उत्तराखंड में शोधकर्ताओं ने वन गुज्जर समुदायों के साथ मिलकर उनकी भूमि का मैन्युअल और डिजिटल दोनों तरीकों से मानचित्रण किया। इंडोनेशिया के बुजांग राबा में शोधकर्ताओं और सामुदायिक प्रतिभागियों ने जंगल में भ्रमण के दौरान ड्रोन, एवेन्ज़ा सॉफ्टवेयर और जीपीएस जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियों का प्रयोग किया। इस शोध द्वारा स्मार्ट वनों के लिए अंतःविषयक दृष्टिकोण को भी सुगम बनाया गया, जिसमें कलाकारों और वैज्ञानिकों ने चिली के अराउकेनिया क्षेत्र में जंगल की आग और ‘फायरटेक’ पर प्रतिक्रिया पर सहयोग किया, और इस बात पर विचार किया कि कैसे आग भी एक पैतृक तकनीक है जो विभिन्न पर्यावरणीय संबंधों और भूमि प्रथाओं के माध्यम से आकार लेती है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ इस तरह के ‘लाइव’ मुठभेड़ों ने इस बात की समझ विकसित की कि विभिन्न क्षेत्र किस प्रकार प्रौद्योगिकियों का उपयोग और दुरुपयोग कर सकते हैं, तथा इन मतभेदों के बीच होने वाले सत्ता संघर्षों का सुझाव दिया।
अनुसंधान के दोनों चरणों के निष्कर्षों को दस्तावेजित किया गया है और अकादमिक प्रकाशनों के माध्यम से उनसे जुड़ा गया है और स्मार्ट वन एटलस . स्मार्ट वन एटलस एक ऑनलाइन ‘जीवित संग्रह’, अनुसंधान नेटवर्क और स्मार्ट वन डेटा को संग्रहित करने और वर्णन करने के लिए उपकरण के रूप में कार्य करता है, जिसमें फील्ड नोट्स, साक्षात्कार, मानचित्र, कहानियां और सामाजिक नेटवर्क विश्लेषण शामिल हैं। स्मार्ट फॉरेस्ट एटलस छह भाषाओं (अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, पुर्तगाली, हिंदी और इंडोनेशियाई) में काम करता है, और परियोजना डेटा को खुले तौर पर उपलब्ध और सुलभ बनाता है।
स्मार्ट वन परियोजना अनुसंधान दल में शोधकर्ताओं का एक अंतरराष्ट्रीय समूह शामिल है, जो या तो निवास या छात्रवृत्ति के माध्यम से क्षेत्रीय स्थलों से जुड़े हुए हैं। समूह में रचनात्मक सहयोगी भी शामिल हैं जो ध्वनि, वीडियो, वेब और ग्राफिक डिजाइन और उत्पादन में योगदान देते हैं, साथ ही दुनिया भर में केस स्टडी स्थानों और अन्य वन स्थानों में सहयोगियों का एक विस्तृत नेटवर्क भी शामिल है।






समुदाय-नेतृत्व वाली वन प्रौद्योगिकी पहलों को स्कैन करना
स्मार्ट वन पहलों के हमारे सर्वेक्षण के दौरान हमें वन समुदायों द्वारा, उनके साथ या उनके लिए तैयार की गई विभिन्न प्रौद्योगिकियों या प्रथाओं का पता चला। नीचे दी गई तालिका में स्मार्ट वन उपकरणों और पहलों के उदाहरण दिए गए हैं जो विशेष रूप से समुदाय-उन्मुख हैं और समुदाय की आवाज, अधिकारों और पर्यावरणीय अनुभवों को सामने लाते हैं।
हमने पाया कि समुदाय निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों से जुड़े हैं: पर्यावरण का सहभागी मानचित्रण, सामुदायिक साझाकरण नेटवर्क और शिक्षा, वनों की कटाई पर नज़र रखना और उसका विनियमन करना, कार्बन और पारिस्थिति की तंत्र सेवाओं का डेटाकरण (मुद्रीकरण प्रयोजनों सहित) वनों और प्राकृतिक वातावरण को बनाए रखना और खतरों पर नज़र रखना तथा प्रतिक्रियाओं को स्वचालित और अनुकूलित करना।
गतिविधि1 | परियोजना | विवरण | |
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सहभागी मानचित्रण | मॅपेओ | मैपियो वन निगरानी और क्षेत्र मानचित्रण के लिए एक ओपन-सोर्स, ऑफलाइन-फर्स्ट टूलसेट है। यह भागीदारीपूर्ण डेटा संग्रहण और साझाकरण का समर्थन करता है, तथा अपनी भूमि और डेटा पर सामुदायिक संप्रभुता को सुदृढ़ करता है। अवाना डिजिटल द्वारा विकसित मैपियो ने समुदायों को अवैध खनन से निपटने, वनों की कटाई के साक्ष्य एकत्र करने और नीतिगत परिवर्तनों के लिए अभियान शुरू करने में सक्षम बनाया है। | 1 |
सहभागी मानचित्रण | भूले हुए वन क्षेत्र | कोइलटीन कैइलटे (गैलिक में विस्मृत वन) एक परियोजना है, जिसने 15,000 से अधिक स्कॉटिश स्थानों के नामों का डिजिटल मानचित्रण किया है, जो वुडलैंड की उपस्थिति का संकेत देते हैं। इस परियोजना का उद्देश्य स्थान के नामों का उपयोग कर परिदृश्य को समझना तथा समुदायों की भूमि के सांस्कृतिक, पारिस्थितिक और ऐतिहासिक समझ को गहरा करना है। | |
सहभागी मानचित्रण | कांगो गणराज्य में सहभागितापूर्ण मानचित्रण | कांगो गणराज्य के सुदूर क्षेत्रों में समुदायों द्वारा वन संसाधनों का मानचित्रण करने तथा सरकारी कर्मियों या कंपनियों की असंवहनीय प्रथाओं का दस्तावेजीकरण करने के लिए सहभागी मानचित्रण का उपयोग किया जा रहा है। यूसीएल एक्ससाइट्स (एक्सट्रीम सिटीजन साइंस) टीम ने स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर एक स्मार्टफोन मैपिंग एप्लीकेशन का डिजाइन तैयार किया। यह अनुप्रयोग किसी तीसरे पक्ष की प्रणाली पर निर्भर नहीं करता है तथा इसे सुलभ चित्रात्मक निर्णय वृक्षों को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। | |
सहभागी मानचित्रण | फिलीट्रीमैप | फिलीट्रीमैप यह फिलाडेल्फिया क्षेत्र में वृक्षों का एक सहभागी सामुदायिक मानचित्र डेटाबेस है। इसका निर्माण अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के वित्त पोषण से अज़ाविया कंपनी द्वारा किया गया था। यह मानचित्र समुदायों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी संगठनों को वृक्षों के बारे में जानकारी जोड़ने में सक्षम बनाता है, तथा इसका उद्देश्य फिलाडेल्फिया के शहरी वन की सटीक, अद्यतन सूची तैयार करना है। उल्लेखनीय रूप से, श्वेत निवासियों के उच्च अनुपात वाले पड़ोस में फिलीट्रीमैप में अधिक स्वैच्छिक भौगोलिक डेटा जोड़ा गया है, जिससे यह सवाल उठता है कि पर्यावरणीय डेटा के भीतर असमानताएं कैसे बढ़ सकती हैं, जबकि कुछ समुदाय के सदस्यों का अन्य की तुलना में असमान प्रतिनिधित्व हो सकता है। | 1 |
सामुदायिक साझाकरण नेटवर्क और शिक्षा | वन पाठ्यक्रम | वन पाठ्यक्रम एक ऐसा मंच है जो समुदायों को संगठित करने तथा अंतःविषयक अनुसंधान, कला अभ्यास और संरक्षण तथा जमीनी स्तर पर सहयोग के माध्यम से सह-शिक्षण को सक्षम बनाने का प्रयास करता है। सहयोगात्मक और खानाबदोश होने के उद्देश्य से, वन पाठ्यक्रम बहु-स्थलीय है और दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के वन क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। | |
सामुदायिक साझाकरण नेटवर्क और शिक्षा | समुदाय-संचालित पॉडकास्ट | स्वदेशी मीडिया और संचार नेटवर्क, जैसे पापो डी पैरेंट पॉडकास्ट ज्ञान साझा करने और सामाजिक-राजनीतिक लामबंदी, समुदायों को जोड़ने और नेटवर्क बनाने के उपकरण के रूप में काम करते हैं। | |
सामुदायिक साझाकरण नेटवर्क और शिक्षा | रेडारियो प्लेटफॉर्म | रेडारियो प्लेटफॉर्म ब्राज़ील में सीड नेटवर्क का समर्थन करता है। राष्ट्रीय नेटवर्क बीज आपूर्ति योजना, प्रबंधन और व्यावसायीकरण के लिए सहयोगी प्लेटफार्मों और ऐप्स सहित डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके विभिन्न समुदायों, संगठनों और अभिनेताओं के बीच ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करता है। | |
वनों की कटाई पर नज़र रखना और उसका नियमन करना | वैश्विक वन नज़र | ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच विश्व संसाधन संस्थान द्वारा अन्य भागीदारों के सहयोग से 2014 में शुरू किया गया एक डिजिटल वन निगरानी मंच है। यह मंच दुनिया भर में वन संबंधी सूचनाओं की निगरानी, प्रबंधन और आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है। केंद्रीकृत केंद्र का उपयोग स्थानीय समुदायों, सरकारी एजेंसियों, शोधकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों सहित विविध हितधारकों द्वारा वन संबंधी आंकड़ों, ज्ञान और संसाधनों तक पहुंचने और योगदान देने के लिए किया जाता है, जिसमें वनों की कटाई से संबंधित आंकड़े भी शामिल हैं। | 1 |
वनों की कटाई पर नज़र रखना और उसका नियमन करना | वर्षावन चेतावनी | रेनफॉरेस्ट अलर्ट पेरूवियन अमेज़न में संचालित एक सामुदायिक वन निगरानी प्रणाली है। रेनफॉरेस्ट अलर्ट स्मार्टफोन प्रौद्योगिकियों, ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच जैसे खुले डेटा वनों की कटाई अलर्ट, ऑफ़लाइन जीआईएस, ड्रोन और उपग्रह इमेजरी को एकीकृत करता है ताकि स्वदेशी नेतृत्व वाली निगरानी और उनके क्षेत्रों के संरक्षण का समर्थन किया जा सके। | |
वनों की कटाई पर नज़र रखना और उसका नियमन करना | एंडियन की निगरानीवीरांगनापरियोजना | एंडियन अमेज़ॅन परियोजना की निगरानी (MAAP) लगभग वास्तविक समय में वनों की कटाई के अवलोकन के लिए समर्पित है। यह विश्लेषण मुख्यतः उपग्रह प्रणालियों (लैंडसैट, प्लैनेट, डिजिटलग्लोब, सेंटिनल और पेरुसैट) पर आधारित है, तथा यह खुली पहुंच वाला है। इसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों, व्यापक जनता, शोधकर्ताओं, मीडिया और नीति निर्माताओं के लिए उपयोगी बनना है। | |
कार्बन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का डेटाकरण | आई-ट्री | आई-ट्री एक सॉफ्टवेयर सूट है जिसे यूएसडीए वन सेवा और अन्य द्वारा विकसित किया गया हैसहयोगी जो शहरी और ग्रामीण वानिकी विश्लेषण, मार्गदर्शन और लाभ मूल्यांकन उपकरण प्रदान करते हैं। आई-ट्री उपकरण निःशुल्क उपलब्ध हैं और इनका उद्देश्य समुदायों और अन्य लोगों को वन संरचना और वृक्षों से मिलने वाले पर्यावरणीय लाभों का आकलन करके वन प्रबंधन और वकालत के प्रयासों को मजबूत बनाने में मदद करना है। | 1 |
कार्बन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का डेटाकरण | युरोक जनजातिपर्यावरणकार्यक्रम | युरोक जनजाति , क्लामाथ नदी बेसिन से (जिसे वर्तमान में कहा जाता हैकैलिफोर्निया) ने कार्बन ऑफसेटिंग के लिए कैलिफोर्निया एयर रिसोर्सेज बोर्ड (CARB) के कैप-एंड-ट्रेड कार्यक्रम में भागीदारी के लिए बातचीत की है। युरोक जनजाति ने अपने वन भूमि में कार्बन अवशोषण को मापने के लिए जमीनी कार्य के साथ-साथ LiDAR और हवाई इमेजिंग प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया है। कार्बन क्रेडिट से प्राप्त आय से युरोक जनजाति ने पहले से बेदखल 60,000 एकड़ से अधिक भूमि खरीद ली है तथा युरोक जनजाति पर्यावरण कार्यक्रम विकसित किया है। | |
वनों और प्राकृतिक पर्यावरण को बनाए रखना | टाइनी फॉरेस्ट | टाइनी फॉरेस्ट, यू.के. द्वारा अग्रणीअर्थवॉच यूरोप जापानी मियावाकी पद्धति का उपयोग करता है तथा लगभग एक टेनिस कोर्ट के आकार के क्षेत्र में घने, तेजी से बढ़ने वाले देशी वनों का निर्माण करता है। इस रिपोर्ट की तिथि तक, इस योजना के माध्यम से 293 लघु वन लगाए जा चुके हैं। ये वन्यजीव समृद्ध वन मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों या स्कूलों में भूरे क्षेत्रों में उगाए जाते हैं। छोटे जंगलों की निगरानी विभिन्न समुदायों द्वारा की जाती है, तथा शहरी तापमान पर वनों के प्रभाव जैसे परिवर्तनों पर नज़र रखने के लिए अक्सर डिजिटल उपकरणों का उपयोग किया जाता है। डिजिटल नेटवर्क वितरित छोटे वनों को आपस में जुड़ने और संसाधनों एवं निष्कर्षों को साझा करने की अनुमति देते हैं। | 1 |
वनों और प्राकृतिक पर्यावरण को बनाए रखना | मैमलवेब | मैमलवेब एक नागरिक विज्ञान मंच है जो जंगली स्तनधारियों के वितरण, स्थिति और पारिस्थितिकी की समझ को बेहतर बनाने के लिए कैमरा ट्रैप डेटा को एकत्रित और सत्यापित करता है। डरहम विश्वविद्यालय और डरहम वन्यजीव ट्रस्ट के बीच सहयोग से स्थापित यह मंच यूके और यूरोप पर केंद्रित है। मैमलवेब का उद्देश्य नागरिक वैज्ञानिकों के विविध समुदायों को प्रजातियों को वर्गीकृत करने और कैमरे लगाने के लिए आमंत्रित करके उन्हें शामिल करना है, जिससे लोगों का प्रकृति से जुड़ाव बेहतर होगा और कल्याणकारी लाभ मिलेंगे। | |
वनों और प्राकृतिक पर्यावरण को बनाए रखना | सोमाई | सोमाई यह एक वन निगरानी मंच है जो स्वदेशी अमेज़न को संरक्षित करने में स्वदेशी क्षेत्रों और समुदायों का समर्थन करना चाहता है। सोमाई को ब्राजील के अमेज़न पर्यावरण अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है, जो प्रौद्योगिकी प्रदान करता है, प्रशिक्षण और धन उपलब्ध कराता है, जिससे स्वदेशी समूह स्वायत्त रूप से डेटा और प्रणालियों का प्रबंधन कर सकें। | |
खतरों पर नज़र रखना और प्रतिक्रियाओं को स्वचालित और अनुकूलित करना | पाकिस्तान में जंगल में आग लगने की पूर्व चेतावनी पता लगाने की प्रणाली | इस पाकिस्तान-आधारित परियोजना के माध्यम से जंगल की आग पर नज़र रखी जा रही है, और आपातकालीन प्रतिक्रियाओं का समन्वय किया जा रहा है, जो स्थानीय समुदायों, पाकिस्तान के वन विभाग, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ को एक साथ लाती है।लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंटविज्ञान, टेलीनॉर, और यूके एफसीडीओ की फ्रंटियर टेक दूसरों के बीच में। यह परियोजना सेंसर और मशीन लर्निंग का उपयोग करके एक स्वचालित पूर्व चेतावनी प्रणाली तैयार करती है जो जंगल में आग फैलने से पहले ही उसका पता लगा लेती है और स्थानीय प्राधिकारियों को सचेत कर देती है। यह प्रणाली आग के प्रति संवेदनशील स्थानों की पहचान करने के लिए सेंसर, इमेजिंग, मौसम विज्ञान और मौसम पूर्वानुमान का भी उपयोग करती है। | 1 |
खतरों पर नज़र रखना और प्रतिक्रियाओं को स्वचालित और अनुकूलित करना | बर्नबॉट | कैलिफोर्निया स्थित बर्नबॉट, निर्धारित जलन के लिए एक अर्द्ध-स्वचालित रिमोट-नियंत्रित प्रौद्योगिकी है। यह प्रौद्योगिकी वनस्पति को पतला करने और निर्धारित तरीके से जलाने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे जंगल में लगने वाली आग के जोखिम को कम किया जा सके और समुदायों की रक्षा की जा सके। बर्नबोट आरएक्स2 के बर्न चैम्बर और अन्य घटक भागों को न्यूनतम धुआं उत्पन्न करने के लिए डिजाइन किया गया है। बर्नबॉट ने स्वदेशी समुदायों, अग्निशामकों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, पारिस्थितिकीविदों, सरकारी एजेंसियों, निजी पहलों और गैर सरकारी संगठनों के बीच व्यापक नेटवर्क और सहयोग का निर्माण किया है। |
चार कहानियाँ: स्मार्ट फ़ॉरेस्ट केस स्टडीज़
यह खंड स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के साथ बातचीत कर रहे समुदायों के साथ किए गए हमारे चार केस अध्ययनों से प्राप्त शोध निष्कर्षों को एक साथ जोड़ता है। ये केस स्टडीज आसानी से एक दूसरे से मेल नहीं खातीं ।उनके संदर्भ, गतिशीलता और संघर्ष अलग-अलग हैं। मतभेदों को दूर करने के बजाय हम उन जटिलताओं पर ध्यान देने का प्रयास करेंगे जो स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के साथ प्रत्येक समुदाय की संलग्नता से उभरती हैं, साथ ही कहानियों में प्रतिध्वनियों पर भी ध्यान देंगे।
सभी केस अध्ययनों में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां अपने आप में अधिकांश समुदायों का प्राथमिक ध्यान केन्द्रित नहीं हैं। इसके बजाय, वे चल रही पर्यावरणीय परियोजनाओं को बढ़ाने के लिए उपकरण, साक्ष्य, संसाधन और अवसर हैं । जिन वन समुदायों के साथ हमने शोध किया, वे इस बात में रुचि रखते थे कि पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए प्रौद्योगिकियों का उपयोग कैसे किया जाए तथा भूमि प्रथाओं और सामूदायिक संबंधों में सुधार की उनकी व्यापक महत्वाकांक्षाओं को कैसे प्राप्त किया जाए। ये उपकरण संरचनात्मक, प्रणालीगत और पारिस्थितिक अंतःक्रियाओं का हिस्सा हैं जिनका सामना ये समुदाय कर रहे हैं।

एक ड्रोन अपने घूमते हुए प्रोपेलर द्वारा हवा में स्थिर होकर मंडराता रहता है। यह बर्फ से ढके चिली पर्वतों के ऊपर लटका हुआ है। राख से ढके ज्वालामुखी के जमे हुए शिखर के सामने काले पेड़ ऊंचे खड़े हैं। इस मौसम में जंगल नंगे सर्दियों के पेड़ों से घने होते हैं। जंग लगे रंग की शाखाएं गहरे हरे रंग के बंदर पहेली वृक्षों, या अराकेरियस के दांतेदार मूर्तिकला रूपों के साथ प्रतिच्छेद करती हैं। ठंडा, चमकीला आसमान ऊपर की ओर खुला हुआ है।
यह केस स्टडी चिली, केला, अराउकेनिया क्षेत्र के पालगुइन जलग्रहण क्षेत्र में सामुदायिक अग्नि निवारण योजना के विकास पर आधारित है। यह क्षेत्र भी एक मापुचे क्षेत्र है जिसे वॉलमापु कहा जाता है , जिसका अर्थ है “ब्रह्मांड” या “आसपास की भूमि”, यह क्षेत्र 1882 में औपचारिक रूप से चिली राष्ट्र में शामिल होने वाला अंतिम क्षेत्र था। चिली राज्य ने अपने निपटान और उपनिवेशीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में इस क्षेत्र में यूरोपीय आप्रवासन को प्रोत्साहित किया। आज, इस क्षेत्र में मापुचे लोग, चिली के स्थानीय लोग, दूसरे मकान के मालिक, पर्यटक, शोधकर्ता, छात्र, किसान, संरक्षण संस्थाएं तथा सैंटियागो छोड़कर ग्रामीण जीवन जीने वाले अस्थायी लोग शामिल हैं।
ला अराउकेनिया की एक विशिष्ट विशेषता इसके अनेक पर्वत और ज्वालामुखी हैं, तथा विश्व के कुछ सर्वाधिक सक्रिय ज्वालामुखी यहीं स्थित हैं। पूरे क्षेत्र में, कई जंगलों में विशिष्ट अराउकेरिया वृक्ष ( मापुदुंगुन में पेहुएन ) के साथ-साथ चिली के मूल निवासी अन्य वृक्ष भी शामिल हैं।
फंडासिओन मार एडेंट्रो के सहयोग से किए गए इस शोध में इस बात पर विचार किया गया है कि इस क्षेत्र में तथा पालगुइन जलग्रहण क्षेत्र में बोस्के पेहुएन 882 हेक्टेयर निजी संरक्षण रिजर्व में आग की निगरानी तथा रोकथाम के लिए स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का किस प्रकार उपयोग किया जाता है। इसमें पूछा गया है कि समुदाय डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ किस प्रकार जुड़ रहे हैं और इसके बारे में क्या सोच रहे हैं तथा निजी और सार्वजनिक स्वामित्व वाली प्रौद्योगिकी का इस परिदृश्य के सामाजिक-राजनीतिक संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।

यह ड्रोन इंडोनेशिया के उष्ण कटिबंधीय जंगल के ऊपर बहुत नीचे उड़ता है। बादल मुलायम वन पहाड़ियों के बीच तैरते हैं। हम भी बादल के स्तर पर बहते हैं। नीचे का संसार पूरी तरह वनस्पति है। फिर पेड़ों के बीच में चमकीले धान के खेत, बस्तियों की मिट्टी, धुएं का गुबार, गांव के पास से बहती नदी, पहाड़ी की ढलान पर कठोर पैटर्न में बिखरे ताड़ के तेल के बागान दिखाई देते हैं। ऊपर की ओर बढ़ते हुए, इस पहाड़ी की चोटी से परे नीली पहाड़ियों को देखें। आकाश धब्बेदार मैकेरल है।
यह केस स्टडी बुजांग राबा पर केंद्रित है, जो इंडोनेशिया की पहली सामुदायिक परियोजनाओं में से एक है जिसका लक्ष्य वनों की कटाई से होने वाले उत्सर्जन को कम करना है। इस परियोजना का प्रस्ताव गैर-सरकारी संगठन केकेआई वारसी ने रखा था, जिसका उद्देश्य 2014 से 2023 तक 5336 हेक्टेयर में फैले प्राथमिक वन को संरक्षित करके लगभग 630,000 टन CO2 उत्सर्जन को रोकना है। यह परियोजना 1980 के दशक से आसपास के क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण भूमि उपयोग परिवर्तनों का जवाब देती है, जिसमें नए ताड़ के तेल के बागान, औद्योगिक कटाई और खनन ने बुंगो उप-जिले के प्राकृतिक वनों पर गहरा प्रभाव डाला है।
यह परियोजना पांच गांवों लुबुक बेरिंगिन, सेनामत उलु, सुंगई मेंगकुआंग, सांगी लेतुंग बुआट और सुंगई तेलंग को कवर करती है। इस वन आवास को संरक्षित करके, इस परियोजना से एक मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा होने की उम्मीद है जो सुमात्रा टाइगर, मलेशियाई सन बियर, टैपिर और पवित्र हॉर्नबिल सहित लुप्तप्राय पौधों और जानवरों का घर है। इस रिपोर्ट में, हम यह देखेंगे कि बुजांग राबा में शामिल समुदाय ने किस प्रकार देशी प्रजातियों, कार्बन भंडारण और अवैध गतिविधियों की निगरानी करके वनों की सुरक्षा के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया है। हम उन चुनौतियों का भी दस्तावेजीकरण करते हैं जो उत्पन्न हुई हैं (सरकारी विनियामक परिवर्तनों सहित) तथा यह भी कि स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के आने के बाद सामुदायिक गतिशीलता में किस प्रकार बदलाव आया है।

ड्रोन ने नीदरलैंड के इकोविलेज का निरीक्षण किया। निर्माणाधीन मकानों के वास्तुशिल्पीय छल्ले, खेत की नाली के साथ बहता पानी, भूरे रंग के हल वाले खेतों वाले वाणिज्यिक फार्म की दुनिया को इकोविलेज की दुनिया से अलग करता है। पंख-पैर वाली बंटम मुर्गियां, हवा से उड़ती हुई गाय की अजवायन, जंगली रूप से उगती हुई झाड़ियां, एक रसोईघर का बगीचा। एक महिला एक कुत्ते को बुला रही है जो एक बत्तख का पीछा कर रहा है। ड्रोन ऊंची छत वाली एक झोपड़ी के करीब पहुंचता है, जहां कुछ लोग बैठकर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
इकोडोर्प बोएकेल स्वयं को नीदरलैंड के दक्षिण-पूर्वी ग्रामीण क्षेत्र में एक इकोविलेज और जीवित प्रयोगशाला समुदाय के रूप में पहचानता है। यहां के निवासियों ने पिछले बारह वर्षों से टिकाऊ जीवन शैली के विकास और उस पर चिंतन-मनन में बिताया है। सामुदायिक स्थान में 36 किराये के घर और दो हेक्टेयर भूमि पर एक खाद्य वन-उद्यान शामिल है, जो कृषि भूमि, एक संरक्षित वन और एक छोटे से गांव के बाहरी इलाके से घिरा हुआ है। निवासी इकोविलेज को ‘वन किनारा’ ( डच में बोसरैंड ) के रूप में वर्णित करते हैं, जहां मनुष्य अपने प्राकृतिक पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित कर रहना चाहते हैं । इस स्थल पर पारिस्थिति का संक्रमण क्षेत्र और वन्यजीव गलियारों का विकास किया गया है।
इस इकोविलेज में 62 लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकतर डच हैं और जिनकी आयु 0 से 71 वर्ष के बीच है तथा जो विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं। इकोविलेज घरों की तुलनात्मक रूप से सस्ती किराये की लागत ने देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों को आकर्षित किया है। दो घर शरणार्थी स्थिति वाले लोगों के लिए नामित हैं, देखभाल पर निर्भर व्यक्तियों के लिए दो घर निर्धारित किये गए हैं। शरणार्थियों के अलावा अधिकांश नए निवासियों का चयन वर्तमान निवासियों द्वारा ही किया जाता है। यह समुदाय आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में अधिक विविध है और विडंबना यह है कि निवासियों की मूल्य प्रणालियां भी एक समान हैं । निवासियों जो अक्सर अंशकालिक काम करते हैं से अपेक्षा की जाती है कि वे समुदाय के विकास में स्वैच्छिक श्रम का योगदान दें (उदाहरण के लिए, बागवानी करके, रखरखाव करके, या आउटरीच गतिविधियों, वित्त या समुदाय-निर्माण की देखभाल करके)। यहां के निवासी आमतौर पर स्थिरता से संबंधित विषयों में गहरी रुचि लेते हैं और पारिस्थितिकी, पर्माकल्चर, हर्बल दवाओं, सामुदायिक जीवन, स्वास्थ्य, स्वदेशी ज्ञान और जैव विविधता जैसे क्षेत्रों में जानकार होते हैं। रहन-सहन और संचार प्रथाओं को निरंतर विकसित हो रहे समुदाय-आधारित तरीकों द्वारा आकार दिया जाता है। इस समुदाय के ग्लोबल इकोविलेज नेटवर्क के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय संबंध हैं, साथ ही नीति निर्माताओं, स्थिरता संगठनों, वित्तपोषकों और औद्योगिक साझेदारों के साथ भी इसके संबंध हैं।
इस रिपोर्ट में, हम इकोडोर्प बोकेल समुदाय की स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के साथ संलग्नता, विशेष रूप से जैव विविधता निगरानी में उनके प्रयोगों का अनुसरण करते हैं, तथा इन प्रौद्योगिकियों द्वारा इकोविलेज और उससे आगे उत्पन्न प्रभावों और अंतःक्रियाओं पर विचार करते हैं।

ड्रोन दृश्य से, परिदृश्य में अंतर्संबंधित रास्ते बने हुए दिखाई देते हैं। यहाँ की वनस्पति घनी है, तथा पेड़ों से घिरी हुई है। झोंपड़ियों के समूह ऐसे एकत्रित होते हैं मानो वे एक दूसरे से बातचीत कर रहे हों। सूरज की रोशनी घास-फूस की छत वाले घरों के पास खलिहानों पर बंधे तिरपालों से टकराती है। कभी-कभी, नंगे सफेद तने वाले पेड़, इच्छा-हड्डी की तरह, झाड़ियों के ऊपर उग आते हैं। एक नदी परिदृश्य के बीच से एक संकीर्ण चमकती सुई खींचती है। वन गुज्जर के भैंसों के झुंड के चिह्न धरती पर उनकी यात्राओं का संकेत देते हैं। यह एक ठंडा, उज्ज्वल दिन है और दुनिया चमकदार धूप से चमक रही है।
यहां, वन गुज्जर परिवार अपनी पारंपरिक वन भूमि के किनारे पर रहते हैं, जिन्हें 2010 और 2014 के बीच भारतीय राज्य द्वारा राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से जबरन हटा दिया गया था। वन गुज्जर, जो दक्षिण एशिया के मूल निवासी के रूप में पहचान करते हैं, इस्लाम का पालन करते हैं और जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में ट्रांसह्यूमन और अर्ध-खानाबदोश गतिविधियों में संलग्न हैं। उत्तराखंड में, जहां यह केस स्टडी स्थित है, लगभग 70,000 वन गुज्जर वन क्षेत्र के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
इस क्षेत्र में 80-90 परिवार एकत्रित होते हैं, जो पिछले 200 वर्षों से वर्तमान और पिछली पीढ़ियों के बीच खानाबदोश पशुपालन का जीवन जी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि ‘वन’ शब्द का अर्थ जंगल होता है। भारत में अन्य गुज्जर समुदाय भी हैं, लेकिन वन गुज्जर विशिष्ट वनवासी हैं और ऐतिहासिक रूप से औपनिवेशिक आपराधिक कानूनों के तहत उनका उत्पीड़न किया जाता रहा है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस प्रकार डिजिटल प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से वन गुज्जरों के साथ भेदभाव किया गया है तथा किस प्रकार उन्होंने अपनी भूमि का मानचित्रण करने तथा परम्परागत अधिकारों का दावा करने के लिए स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का प्रयोग किया है।
वन समुदायों में (डिजिटल) प्रौद्योगिकियों को शामिल करना और उनका बहुलीकरण करना
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां अनेक तरीकों से वन जगत के साथ अंतःक्रिया करती हैं और उसे गतिशील बनाती हैं। हमारे चार केस अध्ययनों में, हमने यह पता लगाया है कि किस प्रकार विभिन्न समुदाय विभिन्न वन प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर रहे हैं, तथा इसका उद्देश्य क्या है । हम इन प्रौद्योगिकियों पर समुदाय-विशिष्ट दृष्टिकोणों को रेखांकित करते हैं और जांच करते हैं कि डिजिटल अवसंरचनाएं समुदाय की प्रथाओं और वनों की समझ से कैसे संबंधित हैं और उनके साथ कैसे भिन्न हैं। हम पूछते हैं कि स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के साथ मुठभेड़ों को कैसे अधिक बहुलवादी और न्यायसंगत बनाया जा सकता है, ताकि ये प्रौद्योगिकियां स्थानीय पर्यावरणीय ज्ञान को अस्पष्ट न करें, बल्कि इसमें योगदान दें और इसे बढ़ाएं।

ला अराउकेनिया, चिली में समुदाय-आधारित अग्नि निवारण प्रथाएँ
चिली, के ला अराउकेनिया में पालगुइन जलग्रहण क्षेत्र का वनीय परिदृश्य, आग पर निर्भर न होकर आग के अनुकूल है। कुछ वनस्पतियाँ, जैसे कि अरूकेरिया वृक्ष, पास के ज्वालामुखियों से निकलने वाले लावा प्रवाह और अंगारों की आग को झेल सकती हैं। कुछ मामलों में कम तीव्रता वाली आग से जमीनी स्तर पर जमी हुई गंदगी को हटाया जा सकता है और पुनः वृद्धि संभव हो सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में वनस्पति को पुनः वृद्धि के लिए आग की आवश्यकता नहीं होती (जैसा कि उदाहरण के लिए कैलिफोर्निया में होता है)। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान और सूखे, भूमि विखंडन और भूमि उपयोग में परिवर्तन के साथ-साथ मानवीय गतिविधियों के कारण आग लगने का अतिरिक्त खतरा पैदा होने के कारण, उन स्थानों पर भी आग लगने का खतरा बढ़ रहा है, जहां पहले ऐसा नहीं होता था। इन जटिल परिस्थितियों में जंगली आग पारिस्थितिकी और मानव आवास दोनों के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न कर सकती है, विशेष रूप से जहां आग की घटनाएं हाल ही में सामने आई हों।
जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग पर बढ़ते दबाव के कारण इस क्षेत्र में जंगली आग की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है। इस प्रकार चिली सरकार, सामुदायिक संगठनों और संरक्षण फाउंडेशनों के अंतर्गत विभिन्न एजेंसियां अधिक स्थानीयकृत और प्रौद्योगिकीय अग्नि निवारण योजनाएं विकसित कर रही हैं। समुदाय स्तर पर अग्नि निवारण योजनाएं, मौजूदा राष्ट्रव्यापी वन्य अग्नि योजनाओं के अनुरूप तैयार की जा रही हैं।
ला अराउकेनिया और चिली में सामान्यत जंगल की आग और खतरे की निगरानी और प्रबंधन के लिए पहले से ही कई प्रौद्योगिकियां प्रयोग में हैं। आपातकालीन प्रबंधन योजनाएं बनाने, जोखिमों की पहचान करने तथा आपदा प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए जीआईएस प्रौद्योगिकियों और डेटा प्लेटफार्मों में सक्रिय निवेश किया जा रहा है। ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी के रूप में खतरों के मानचित्रण और प्रबंधन के लिए व्यापक राष्ट्रव्यापी बुनियादी ढांचे भी मौजूद हैं।
व्यापक आपदा प्रबंधन बुनियादी ढांचे के अलावा चिली का राष्ट्रीय वानिकी निगम, कॉनफ, आग की निगरानी, पहचान, रोकथाम, प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लिए डेटा डैशबोर्ड, जीआईएस, रिमोट सेंसिंग, स्वचालित कैमरे, हेलीकॉप्टर, व्हाट्सएप, ऑनलाइन टूलकिट, वेबिनार और प्रशिक्षण सत्र और कई अन्य उपकरणों का उपयोग करता है। इनमें से कुछ प्रौद्योगिकियां सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में साझा की जाती हैं।

इस क्षेत्र में भूमि मालिक, निवासी, संरक्षण संस्थाएं और पारिस्थितिकी अभयारण्य भी पर्यावरण के साथ जिम्मेदाराना जुड़ाव विकसित करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हैं, अक्सर जल संरक्षण, पुनर्जनन और बहाली तथा देशी प्रजातियों के रोपण के लिए। संरक्षण संस्थाएं पुनर्जनन के अवसरों के साथ-साथ प्रजातियों और जैवविविधता के प्रमुख स्थलों की पहचान करने के लिए कैमरों का उपयोग करती हैं।
स्मार्ट फॉरेस्ट फील्ड स्कूल्स और उससे संबंधित साक्षात्कारों में पाया गया कि चिली के ला अराउकेनिया और आसपास के क्षेत्रों में समुदायों का प्रौद्योगिकी के प्रति कुछ हद तक अस्पष्ट और यहां तक कि विरोधाभासी संबंध है। कई शोध प्रतिभागियों ने कहा कि चिली « बहुत तकनीकी नहीं है », जिससे पता चलता है कि यह विकास के लिए अधिक तकनीकी दृष्टिकोण वाले देशों से पीछे है। इस क्षेत्र के लोगों का यह भी मानना है कि प्रौद्योगिकी इस क्षेत्र के प्राकृतिक और वन्य चरित्र के विपरीत है। हमारे साक्षात्कारों, कार्यशालाओं और क्षेत्रीय स्कूलों में, कुछ लोगों ने कहा कि वे तकनीकी-समाधानवाद और डेटा संग्रहण के प्रति सजग थे।
इन कथित या वास्तविक तकनीकी सीमाओं के अतिरिक्त, अराउकेनिया क्षेत्र की पहाड़ी और सुदूर प्रकृति के कारण, यहां मोबाइल और वाई-फाई डेटा कवरेज भी अपर्याप्त है। हर वयस्क के पास मोबाइल फोन नहीं होता है, तथा मोबाइल फोन और रेडियो दोनों के लिए डेटा प्राप्त करने और संचारित करने की क्षमता गंभीर रूप से सीमित हो सकती है। प्रकरणीय संचार सामान्य बात है, तथा कुछ मामलों में, पर्वतीय समुदायों ने कोड और सीटियों के माध्यम से संचार करने के लिए अलग-अलग प्रणालियां अपना ली हैं।
इस केस स्टडी से पर्यावरण प्रशासन में उन परिवर्तनों का पता चला है, जिन्हें स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां शुरू कर सकती हैं, क्योंकि चिली का सार्वजनिक क्षेत्र आग की निगरानी और चेतावनी देने के लिए निजी बुनियादी ढांचे और नेटवर्क पर बहुत अधिक निर्भर करता है। अग्नि निवारण परियोजना, जो विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों से अंतःविषयी कार्यकर्ताओं को एकत्रित करती है, वन नेटवर्क और समुदायों को बढ़ाने के लिए स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों की क्षमता का भी सुझाव देती है।


बुजांग राबा परिदृश्य में सामुदायिक वन संरक्षण
बुजांग राबा परिदृश्य में समुदाय-प्रबंधित कार्बन परियोजना में लुबुक बेरिंगिन, सेनामत उलु, सुंगई मेंगकुआंग, सांगी लेतुंग बुआट और सुंगई तेलंग के पांच गांवों को शामिल किया गया है, और इसने कई वन कार्यों में सहायता की है।
गैर-सरकारी संगठन केकेआई वारसी द्वारा प्रस्तावित यह परियोजना इंडोनेशिया में वनों की कटाई से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई पहली सामुदायिक परियोजनाओं में से एक है । REDD+ (वन विनाश और वन विनाश से उत्सर्जन में कमी) पहल पर केन्द्रित इस परियोजना का उद्देश्य 2014 से 2023 तक 5336 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले प्राथमिक वन को संरक्षित करके लगभग 630,000 t CO2 उत्सर्जन को रोकना है।
वैश्विक बाजार में काम करने वाले कार्बन क्रेडिट विकसित करने के लिए केकेआई वारसी ने निजी प्रमाणन निकाय, प्लान विवो द्वारा निर्धारित मानकों का पालन किया। इस प्रकार यह परियोजना क्षेत्र में भूमि उपयोग का पता लगाने के लिए लैंडसैट रिमोट सेंसिंग का उपयोग करते हुए कार्बन स्टॉक, सामाजिक-आर्थिक कारकों, जैव विविधता, अन्य पर्यावरणीय सेवाओं और वनों की कटाई के कारणों पर नज़र रखती है। इस परियोजना में कैमरा ट्रैप, स्थिर-बिंदु फोटोग्राफी, वन गश्ती और उपग्रह डेटा की जांच के लिए एवेन्ज़ा मैप्स एप्लीकेशन का भी उपयोग किया गया है । एवेन्ज़ा मैप्स वन गश्ती दल को कार्बन परियोजना के भू-संदर्भित मानचित्र पर अवैध वृक्ष कटाई, अतिक्रमण और आग के साक्ष्य दर्ज करने में सक्षम बनाता है। त्रैमासिक और वार्षिक निगरानी डेटा गांव परियोजना कार्यालय और केकेआई वारसी द्वारा संग्रहीत किया जाता है। बुजांग राबा के स्थानीय समुदायों को केकेआई वारसी से जीपीएस और एवेन्ज़ा मैप्स का उपयोग करने का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। उल्लेखनीय बात यह है कि गांवों में इंटरनेट कनेक्शन खराब है, वहां कोई दूरसंचार प्रदाता नहीं है तथा डिजिटल कनेक्शन सर्वत्र नहीं है, आम तौर पर प्रत्येक घर में एक ही फोन है। वन निगरानी के अलावा, डिजिटल प्रौद्योगिकी के साथ बातचीत सीमित है।
आज तक इस प्रौद्योगिकी-सुविधायुक्त परियोजना ने सामुदायिक वनों और पारिस्थिति की सुरक्षा को सक्षम बनाया है। हमारे शोध में कुछ प्रतिभागियों ने सुझाव दिया कि सामुदायिक परियोजना से वन जगत के बारे में उनका ज्ञान गहरा हुआ है। यह परियोजना ताड़ के तेल के बागानों के लिए वनों की कटाई को रोककर क्षेत्र में बाढ़ को रोकने में भी सहायक सिद्ध हुई है, क्योंकि भूमि का उपयोग तेजी से जल प्रवाह के लिए प्रवण है । इसके साथ ही, परियोजना ने कुछ सामुदायिक सदस्यों को प्रशिक्षण और आजीविका भी प्रदान की है, क्योंकि वन गश्ती दल को पारिश्रमिक मिलता है। पिछले वर्षों में, कार्बन परियोजना ने रमजान के दौरान बुनियादी खाद्य वितरण को भी वित्त पोषित किया है। हालाँकि सरकारी नियमों में परिवर्तन के कारण यह परियोजना रुक गई है (जिसका विवरण इस रिपोर्ट में आगे दिया गया है)।

स्मार्ट फॉरेस्ट फील्ड स्कूलों के दौरान शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को प्रौद्योगिकी के साथ प्रयोग करने और संभावित वन भविष्य की कल्पना करने के लिए प्रोत्साहित करके डिजिटल वन प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बहुल बनाने का प्रयास किया। फील्ड स्कूलों के माध्यम से शोधकर्ताओं ने यह भी समझने का प्रयास किया कि स्थानीय समुदाय डिजिटल प्रौद्योगिकियों और वन जगत में उनके स्थान को किस प्रकार देखते हैं। इकोडोर्प बोइकेल के केस अध्ययन के विपरीत, जहां वनों को मानव अवसंरचना के साथ एकीकृत देखा गया है, यहां प्रतिभागियों ने वनों को मानव गतिविधियों और प्रौद्योगिकी से मुक्त माना, तथा वे बस्तियों से दूर स्थित थे। उल्लेखनीय रूप से, यह द्विआधारी व्यवस्था तथाकथित ‘वाई-फाई वृक्षों’ (अधिक शक्तिशाली सिग्नल वाले वृक्ष) की उपस्थिति के कारण थोड़ी-सी टूट गई, जिनके चारों ओर ग्रामीण इंटरनेट का उपयोग करने के लिए एकत्रित होते हैं।
इस केस स्टडी से पता चला कि स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के लागू होने के बाद स्थानीय आजीविका और वन से जुड़े कार्यों में किस प्रकार बदलाव आ सकता है। एनजीओ द्वारा संचालित सामुदायिक-कार्बन परियोजना ने निगरानी और वन गश्ती में रोजगार सृजित किए, समुदाय के सदस्यों को नए पारिस्थितिक और डिजिटल ज्ञान विकसित करने के लिए प्रेरित किया, और कुछ लिंग और पीढ़ीगत गतिशीलता को प्रभावित किया (उदाहरण के लिए समुदाय में युवा पुरुषों ने अधिक बार डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया)। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस परियोजना ने स्थानीय समुदाय, राज्य नियामकों, प्रौद्योगिकी कंपनियों और गैर सरकारी संगठनों के बीच जटिल और असमान शक्ति गतिशीलता को भी उजागर किया। उदाहरण के लिए एनजीओ ने वन, प्रौद्योगिकियों और नए तकनीकी ज्ञान के साथ समुदायों के अंतःक्रिया को मजबूती से आकार दिया। ये गतिशीलताएं इस बारे में प्रश्न उठाती हैं कि कार्बन परियोजनाओं को समुदाय-नेतृत्व में सुनिश्चित करने के लिए शासन का कौन सा रूप सबसे अधिक प्रभावी होगा?


समुदाय-प्रेरित जैव विविधता इकोडॉर्प में निगरानी बोकेल इकोविलेज, नीदरलैंड
नीदरलैंड के दक्षिण-पूर्वी ग्रामीण क्षेत्र में इकोडोर्प बोएकेल का इकोविलेज और ‘लिविंग लैब’ समुदाय टिकाऊ जीवन शैली को विकसित करने और उससे जुड़ने का प्रयास करता है। समुदाय अनेक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है, जिनमें से अधिकांश टिकाऊ निर्माण विधियों, ऊर्जा दक्षता और पुनर्चक्रण प्रथाओं (उदाहरण के लिए एक ऑन-साइट बैटरी जो सौर पैनलों द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को संग्रहीत करती है और इसे सर्दियों में हीटिंग में परिवर्तित करती है) के विषयों से संबंधित हैं। समुदाय प्रयोगात्मक प्रौद्योगिकियों को लागू करने तथा भविष्य में टिकाऊ प्रथाओं को विकसित करने के लिए परीक्षण केन्द्र के रूप में कार्य करने में रुचि रखता है तथा इच्छुक है। एक जीवंत प्रयोगशाला के रूप में, समुदाय खुले तौर पर अनुभवों को साझा करने और विभिन्न प्रौद्योगिकियों पर आगे अनुसंधान को सक्षम करने का प्रयास करता है। परिणामस्वरूप इकोडोर्प बोकेल बहुत अधिक बाहरी रुचि आकर्षित करता है।
इस स्मार्ट वन अनुसंधान परियोजना से पहले इकोडोर्प बोएकेल में रहने वाले लोगों के पास स्थानीय जैव विविधता की निगरानी के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक सीमित पहुंच थी। इस परियोजना के माध्यम से समुदाय ने विभिन्न डिजिटल जैव विविधता प्रौद्योगिकियों के साथ बातचीत की, जिनमें कैमरा ट्रैप, मर्लिन जैसे ऐप्स के साथ ध्वनिक संवेदन विधियां, और ऑब्सआइडेंटिफाई जैसे नागरिक विज्ञान ऐप शामिल थे। हालांकि ये प्रौद्योगिकियां जैव विविधता की निगरानी के लिए आवश्यक रूप से उच्च तकनीक विधियां नहीं हैं, लेकिन डिजिटल अवसंरचनाएं और प्लेटफॉर्म जिनके माध्यम से इस डेटा का विश्लेषण और प्रस्तुति की जाती है, तेजी से विकसित हो रहे हैं और इनमें स्वचालित प्रजाति पहचान एल्गोरिदम और डिजिटल ट्विन्स जैसे डेटा-गहन कम्प्यूटेशनल प्रथाओं का उपयोग किया जा रहा है।
इस केस स्टडी के माध्यम से हमने यह जांचने का प्रयास किया कि ये डेटा-गहन अवसंरचनाएं स्थानीय स्तर पर सामुदायिक प्रथाओं और जैव विविधता की समझ से किस प्रकार संबंधित हैं, तथा स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों पर सामुदायिक दृष्टिकोण को समझने का प्रयास किया। जबकि डिजिटल जैवविविधता प्रौद्योगिकियों को आम तौर पर अपनाया गया और समुदाय के सदस्यों के लिए कम जोखिम वाला माना गया, यह स्पष्ट हो गया कि इन डिजिटल प्रौद्योगिकियों को ज्ञान के अन्य रूपों के साथ-साथ संचालित करने की आवश्यकता थी। जैव विविधता की निगरानी के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियां मुख्य रूप से स्वचालित प्रजाति पहचान पर केंद्रित हैं, लेकिन इस दृष्टिकोण से स्थानीय जैव विविधता की अन्य समझ मिटने का खतरा हो सकता है। स्मार्ट फॉरेस्ट फील्ड स्कूलों में खेल-खेल में की गई गतिविधियों के माध्यम से, हमने जैव-विविधता और पर्यावरण को जानने के विभिन्न तरीकों को शामिल करने और उनकी कल्पना करने का प्रयास किया।

उल्लेखनीय है कि यह केस स्टडी नीदरलैंड में आधारित है, जो डिजिटल प्रौद्योगिकी के विकास और पर्यावरण प्रौद्योगिकी नवाचार क्षेत्र में अग्रणी देश के रूप में जाना जाता है। यूरोप के सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक, नीदरलैंड में जैव विविधता में गिरावट देखी जा रही है, जिसका आंशिक कारण फास्फोरस और नाइट्रोजन की अधिकता है। पर्यावरण में नाइट्रोजन की मात्रा कम करने की हाल की नीतियों के कारण राजनीतिक तनाव और किसानों के विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इस तनावपूर्ण राजनीतिक और पारिस्थितिक संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल जैव विविधता प्रौद्योगिकियों के बारे में साक्षात्कार में शामिल लगभग सभी लोग इस विशेष इकोविलेज से परिचित थे, जिससे पता चला कि इकोडोर्प बोएकेल जैसी जीवित प्रयोगशालाएं प्रौद्योगिकियों के प्रयोगात्मक कार्यान्वयन के लिए प्राथमिक स्थल बन गईं।
इस केस स्टडी से पता चला कि किस प्रकार डिजिटल प्रौद्योगिकियां वन पारिस्थितिकी और जैव विविधता के साथ जुड़ाव को बदल सकती हैं, तथा इससे वनों और प्रौद्योगिकियों के प्रति बहु-परिप्रेक्ष्यीय दृष्टिकोण की आवश्यकता का सुझाव मिलता है। इकोडोर्प बोकेल ने यह भी प्रदर्शित किया कि किस प्रकार स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां, अनुसंधान और सहायता विभिन्न क्षेत्रों में असमान रूप से वितरित हो सकती हैं, तथा कुछ समुदाय बेहतर ढंग से वित्तपोषण प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। इस इकोविलेज पर शोध के माध्यम से, हमने स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वन नेटवर्क बनाने के लिए स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों की क्षमता देखी।


उत्तराखंड, भारत में वन गुज्जर क्षेत्रों का सहभागी मानचित्रण
उत्तराखंड में अपने पारंपरिक वन भूमि के किनारे रहने वाले वन गुज्जर समुदाय अपने क्षेत्रों का मानचित्रण करने और स्वदेशी ज्ञान उत्पन्न करने के लिए स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर रहे हैं। ये समुदाय गूगल अर्थ उपग्रह इमेजरी, स्मार्टफोन मैपिंग टूल, जीपीएस सिस्टम और ड्रोन सहित डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।
राजाजी महाराज घाटी में वन गुज्जरों को उनकी भूमि से हिंसक तरीके से बेदखल किये जाने के बाद भारतीय राज्य द्वारा वन विभाग द्वारा राष्ट्रीय उद्यान पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने के बाद (जो 2010-2014 के बीच चरणों में हुई), समुदाय ने भारत के 2003 वन अधिकार अधिनियम के माध्यम से अपने भूमि अधिकारों का दावा करने की मांग की है। इस ऐतिहासिक कानून का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से बेदखल किए गए मूलनिवासी समूहों को भूमि का स्वामित्व वापस दिलाना है। अपनी भूमि के दावे के एक भाग के रूप में, वन गुज्जर डिजिटल मानचित्र बनाकर प्रस्तुत कर रहे हैं। जबकि हाथ से तैयार किए गए मानचित्रों को अक्सर नौकरशाही राज्य प्रक्रियाओं में खारिज कर दिया जाता है, डिजिटल रूप से तैयार किए गए मानचित्र भूमि दावों को सटीकता और वैधता प्रदान करते हैं।
मानचित्रण प्रक्रिया का नेतृत्व मुख्य रूप से वन गुज्जर जनजातीय युवा संगठन (वीजीटीएस) द्वारा किया जाता है, जो कि ज्यादातर युवा और शिक्षित पुरुषों का एक समूह है, जो व्यक्तिगत शोधकर्ताओं और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से काम करता है। सोशल मीडिया ने भी इस समुदाय को संगठित होने और जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान किया है। उदाहरण के लिए, वीजीटीएस फेसबुक पेज और व्हाट्सएप ग्रुप नियमित रूप से पशुधन या पर्यावरण के साथ-साथ राज्य संस्थाओं या अन्य समुदायों द्वारा उत्पीड़न, शोषण और उत्पीड़न की घटनाओं पर जानकारी साझा करते हैं। व्यापक संरचनात्मक संदर्भों में, जहां मुस्लिम, खानाबदोश वन गुज्जरों के अस्तित्व और उनकी पहचान के विरुद्ध बाधाएं खड़ी हैं, स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां वन गुज्जरों को अपनी भूमि का मानचित्र बनाने और राज्य द्वारा ज्ञान उत्पादन का विरोध करने में सशक्त बना सकती हैं।

हालाँकि, समुदाय के सभी सदस्यों ने डिजिटल प्रौद्योगिकी को नहीं अपनाया है। वृद्ध वन गुज्जर लोग राज्य प्रक्रियाओं के प्रति गहरे अविश्वास के कारण डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने में विशेष रूप से हिचकिचाते हैं। हमारे शोध से पता चला कि न केवल ये सदस्य वन अधिकार अधिनियम के वादे पर अविश्वास करते थे, बल्कि वे ड्रोन और कैमरा ट्रैप जैसी वन डिजिटल प्रौद्योगिकियों को राज्य वन विभाग की निगरानी से भी जोड़ते थे। राजनीतिक और तार्किक समस्याएं इस तथ्य से भी उत्पन्न होती हैं कि हिंदू राष्ट्रवादी राज्य ने वन गुज्जरों के लिए जंगल में जीपीएस या ड्रोन ले जाना तकनीकी रूप से अवैध बना दिया है। उल्लेखनीय बात यह है कि इस समुदाय में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की पहुंच और क्षमता सार्वभौमिक नहीं है, हालांकि अधिकांश वयस्कों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध है। स्मार्ट फॉरेस्ट फील्ड स्कूलों के दौरान, वन गुज्जरों ने स्मार्ट फॉरेस्ट प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न देखने के तरीकों के बारे में भी संदेह व्यक्त किया, जिससे समुदाय के जानने के तरीकों के अस्पष्ट होने का खतरा पैदा हो गया।
यह केस स्टडी इस ओर इशारा करती है कि कैसे स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां प्रभावी दृश्य उत्पन्न कर सकती हैं, जो संवेदन के अन्य तरीकों को दरकिनार कर देती हैं तथा वनों से संबंधित हो जाती हैं। केस अध्ययन यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां राज्य और समुदाय के बीच सत्ता की गतिशीलता को विभिन्न तरीकों से नया आकार दे सकती हैं। यहां, विरोधाभासी रूप से स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का उपयोग राज्य निगरानी और सहभागिता मानचित्रण दोनों के लिए किया जाता है। अंत में, यह केस स्टडी डिजिटल वन नेटवर्क के लाभों और सीमाओं का सुझाव देती है और दिखाती है कि कैसे स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां लिंग और पीढ़ीगत आधार पर समुदायों के भीतर गतिशीलता को नया आकार दे सकती हैं।


संयुक्त राज्य अमेरिका में भूदृश्य पुनरुद्धार किंगडम: पांचवां केस स्टडी तैयार हो रहा है
हमारे पहले चार केस अध्ययनों में समुदायों ने स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का विविध रूप से उपयोग और अनुभव किया, जिससे स्थान-विशिष्ट अनुसंधान और स्थान-आधारित प्रथाओं का महत्व प्रदर्शित हुआ। कुछ लोग शत्रुतापूर्ण सरकारों के व्यापक संदर्भ में वन निगरानी उपकरणों से सावधान थे, कुछ लोग टेक्नो-समाधानवाद से डरते थे, जबकि अन्य लोगों का मानना था कि डिजिटल प्रौद्योगिकी में न्यूनतम जोखिम है। कुछ समुदायों ने प्रकृति को मानव डिजिटल अवसंरचना से अलग माना, जबकि अन्य ने प्राकृतिक, सांस्कृतिक और डिजिटल अवसंरचना को एकीकृत माना। हालाँकि, सभी समुदायों के लिए सामान्य बात यह थी कि वन जगत को समझने के अन्य तरीकों के साथ-साथ स्मार्ट वन उपकरणों और डेटा का उपयोग करने की आवश्यकता थी। स्मार्ट फॉरेस्ट फील्ड स्कूलों ने पैतृक, एनालॉग और पारिस्थितिक प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ डिजिटल प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के तरीके खोजने की कोशिश की और समुदायों को डिजिटल प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों पर विचार करने के लिए आमंत्रित किया।
हम वर्तमान में यूनाइटेड किंगडम में भूदृश्य पुनरुद्धार के लिए प्रयुक्त समुदाय-आधारित प्रौद्योगिकियों पर केन्द्रित पांचवां केस अध्ययन विकसित कर रहे हैं। यह अंतरिम रिपोर्ट समुदायों, नीति निर्माताओं, गैर सरकारी संगठनों के शोधकर्ताओं और उद्योग जगत के लोगों के बीच सहभागिता और बातचीत उत्पन्न करने के लिए हमारे अब तक के शोध का दस्तावेजीकरण करती है। हम इन वार्तालापों से प्राप्त फीडबैक और अंतर्दृष्टि का उपयोग अपने पांचवें केस स्टडी अनुसंधान को सूचित करने और अपनी अंतिम रिपोर्ट को आकार देने के लिए करेंगे।
स्मार्ट वन जगत में शक्ति और समानता को समझना
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का समुदायों पर सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव पड़ता है, जो तकनीकी उपकरणों और अवसंरचनाओं की स्थापना और उपयोग से कहीं अधिक होता है। ये चार केस अध्ययन स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों की जटिल सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। तटस्थ उपकरण होने से कहीं आगे, स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां समुदायों के भीतर और बाहर शक्ति गतिशीलता को आकार दे सकती हैं, नेटवर्क उत्पन्न कर सकती हैं, शासन संरचनाओं को बदल सकती हैं, और वन जगत के साथ समुदायों की सहभागिता को बहुल बना सकती हैं।
आगे हम अपने प्रमुख निष्कर्षों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के परिणामों या सह-लाभों को दर्शाया जाएगा, जो केस स्टडी समुदायों में स्पष्ट रूप से दिखाई दिए।
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां हैं वनों से जुड़ी गतिविधियों और आजीविका में बदलाव [निष्कर्ष 1]
डिजिटल प्रौद्योगिकियां नई आजीविका और वन संबंधी गतिविधियों का सृजन कर सकती हैं, जैसा कि बुजांग राबा में देखा गया है, जहां वन गश्ती ने रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। ये प्रौद्योगिकियां शैक्षिक संसाधनों, जैसे कि प्रजातियों की पहचान करने वाले अनुप्रयोगों तक पहुंच प्रदान करके पारिस्थितिक ज्ञान को भी व्यापक बना सकती हैं। हालाँकि, ये प्रौद्योगिकियां ऐसे ज्ञान और प्रथाओं का भी उत्पादन करती हैं जो वनों को देखने और महसूस करने के अन्य तरीकों को अस्पष्ट कर सकती हैं। वनों के प्रति डिजिटल दृष्टिकोण से वनों को निकाले जाने योग्य संसाधनों के रूप में, या जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन को संतुलित करने वाले कार्बन भंडार के रूप में समझने में तेजी आ सकती है। प्रत्येक केस स्टडी समुदाय को वन जगत का सामना करने के डिजिटल तरीकों को पैतृक, पारिस्थितिक और ज्ञान के अनुरूप एकीकृत करना था।
विशेष रूप से वन गुज्जर समुदाय ने स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न देखने और संवेदन के तरीकों के बारे में संदेह व्यक्त किया। इस स्थान पर अनुसंधान प्रतिभागियों ने चर्चा की कि किस प्रकार उपग्रह चित्रों और राज्य-निर्मित मानचित्रों का उपयोग वन छतरियों को हरित भूमि आवरण के रूप में प्रदर्शित करने के लिए किया गया, जो गलत चित्रण के रूप में कार्य कर रहा था, तथा वन की निचली सतह और अन्य पारिस्थितिकी चिह्नों को अस्पष्ट कर रहा था। यूकेलिप्टस जैसे एकल-फसलीय वृक्षारोपण को शामिल करने से विशेष रूप से निराशा हुई है, क्योंकि ऐसा देखा गया है कि इन वृक्षारोपणों से वन जैवविविधता में कमी आती है, बहुत कम भूमिगत तल उत्पन्न होता है, जबकि भूजल का दोहन होता है। वन गुज्जरों के लिए मानचित्रण किसी स्थान के तत्वों की गणना से कहीं अधिक है, बल्कि यह किसी स्थान के भौगोलिक, पारिस्थितिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं को पुनः जानने के अवसर के रूप में कार्य करता है। उदाहरण के लिए, स्थानीय स्थलों का नाम वन गुज्जरों और उनकी भैंसों के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं के नाम पर रखा गया है , तथा एक जलधारा को ‘सी’ तलाई कहा गया है, जिसका अर्थ है बाघों का जल-स्रोत, क्योंकि यहां अक्सर बाघों का सामना होता रहता है।
इन स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों की विनाशकारी क्षमता का मुकाबला करने के लिए, वान गुज्जरों और हमारे शोध सहयोगियों ने डिजिटल प्रौद्योगिकियों को सामुदायिक ज्ञान के साथ जोड़ने का काम किया। स्मार्ट फॉरेस्ट फील्ड स्कूल के दौरान, हमने सबसे पहले परिदृश्य और सामुदायिक गतिविधियों को कागज पर चित्रित किया, जिसमें सांस्कृतिक और सामाजिक चिह्नों को अधिक आसानी से शामिल किया जा सकता था। फिर हमने इन कागजी प्रस्तुतियों का उपयोग डिजिटल मानचित्र बनाने के लिए किया, जो सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान को बनाए रखेंगे, जिससे गतिविधि की पहुंच बढ़ेगी और जानने के तरीके बहुल होंगे।
इसी प्रकार, इकोडोर्प बोकेल में, प्रतिभागियों ने प्रश्न किया कि डेटा-गहन अवसंरचनाएं सामुदायिक प्रथाओं और जैव विविधता की समझ से किस प्रकार संबंधित हैं। समुदाय के सदस्यों ने कहा कि जबकि डिजिटल डेटा ‘तटस्थ’ और ‘वस्तुनिष्ठ’ रूप में प्रसारित होता है, डिजिटल प्रौद्योगिकियों द्वारा पहचानी जा सकने वाली प्रजातियां अक्सर सीमित होती हैं, जिसके कारण डेटासेट में प्रजातियों की प्राथमिकता और अति-प्रतिनिधित्व के मुद्दे पैदा होते हैं। इसके अलावा, स्थानीय समुदाय डेटा के साथ किस प्रकार जुड़ते हैं, यह आमतौर पर अत्यधिक चयनात्मक होता है। उदाहरण के लिए, प्रतिभागियों ने अपनी व्यक्तिगत पर्यावरणीय चिंताओं के अनुरूप डेटा का वर्णन और चयन किया। उदाहरण के लिए, प्रतिभागियों द्वारा अन्य डेटा बिंदुओं की तुलना में स्थानीय खेतों में जैव विविधता और कीटनाशकों के उपयोग के बीच नकारात्मक संबंध का सुझाव देने वाले डिजिटल डेटा और दस्तावेज तैयार करने की अधिक संभावना थी। इस तरह की प्रथाएं डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ बहुलतापूर्ण जुड़ाव के महत्व को दर्शाती हैं, ताकि अधिक स्पष्ट पर्यावरणीय चिंताओं को ध्यान में रखा जा सके, साथ ही उनके उपयोग में पूर्वाग्रहों को भी स्वीकार किया जा सके। इस तरह, डिजिटल अवसंरचनाओं को पारिस्थितिकी तंत्र के ‘दर्पण’ के रूप में कम तथा पर्यावरणीय कहानियों और समस्याओं को बयान करने के उपकरण के रूप में अधिक उपयोग में लाया जा सकेगा।
इकोडोर्प बोएकेल में स्मार्ट फॉरेस्ट फील्ड स्कूलों के माध्यम से, हमने एक इंटरैक्टिव इंस्टॉलेशन के माध्यम से स्थानीय जैव विविधता पर मनोरंजक चर्चाओं को सुविधाजनक बनाया, जिसमें सामुदायिक केंद्र की छत से क्यूआर कोड-मुद्रित कार्ड लटकाए गए थे। इस स्थापना से प्रतिभागियों को जैवविविधता पर डिजिटल डेटा को अपने पर्यावरण को जानने के अन्य तरीकों के साथ संयोजित करने में मदद मिली। समुदाय के सदस्यों ने स्थानीय भूमि-उपयोग संघर्षों, जैव-विविधता, प्रदूषण स्तर, स्वास्थ्य और कल्याण के ज्ञान से डिजिटल डेटा को समृद्ध किया। उन्होंने आगे मानव भूमि उपयोग के लिए सह-अस्तित्व की संभावनाओं की पहचान की तथा समुदायों को मानव से अधिक इकाई के रूप में देखते हुए जैव विविधता में सुधार लाने की संभावनाओं की पहचान की। वन भ्रमण तथा स्थानीय कलाकारों, वनपालों और समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत के माध्यम से जैव विविधता पर उत्पादित डिजिटल डेटा को और अधिक बढ़ाया गया।
हमारा शोध यह सुझाव देता है कि स्मार्ट वन परियोजनाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रौद्योगिकियां वन जगत को सीमित न करें - ऊपर से मानचित्रित अवलोकनों में मुद्रीकरण योग्य कार्बन या प्रजातियों के आंकड़ों में बल्कि ये प्रौद्योगिकियां वनों को पहचानने और उनमें निवास करने के मौजूदा सामुदायिक तरीकों को जटिल और समृद्ध बनाने में योगदान दें।

स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां हैं असमान रूप से वितरित और संसाधन अक्सर दुर्लभ होते हैं [निष्कर्ष 2]
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां समुदायों के भीतर और उनके बीच असमान रूप से वितरित हैं, जो मौद्रिक, कार्मिक, तकनीकी या अन्य संसाधनों की कमी से और भी जटिल हो सकती है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों का असमान वितरण मौजूदा शक्ति गतिशीलता को नया आकार दे सकता है, बाधित कर सकता है या मजबूत कर सकता है। स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के डिजाइन और उपयोग में समुदायों को नेतृत्व प्रदान करने तथा योगदान देने के लिए, ज्ञान और विशेषज्ञता को समान रूप से वितरित करने के लिए पहलों को सावधानीपूर्वक विकसित किया जाना चाहिए।
प्रौद्योगिकियों और संसाधनों का वितरण कुछ समुदायों को तथा अन्य को न करने से क्षेत्रीय विसंगतियां पैदा हो सकती हैं। स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का वितरण असमान हो सकता है, क्योंकि उन्हें प्रायः प्रौद्योगिकी कम्पनियों, निजी संस्थाओं या अनुसंधान संगठनों के साथ साझेदारी के माध्यम से समुदायों तक पहुंचाया जाता है। कुछ वन समुदायों, जैसे कि प्रतिष्ठित वनों में स्थित समुदायों को, निजी और सार्वजनिक स्रोतों से स्मार्ट वन प्रौद्योगिकी के लिए समर्थन मिलने की अधिक संभावना है।
चिली में हमें प्रौद्योगिकियों, संसाधनों और कौशल नेटवर्क के असमान वितरण का सामना करना पड़ा। चिली के राष्ट्रीय वानिकी निगम, कोनाफ ने कुछ सामान्य अग्नि निवारण योजना टूलकिट विकसित की है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में, स्वतंत्र रूप से संसाधन संपन्न सामुदायिक संगठन और निजी संस्थाएं स्थानीय अग्नि निवारण के लिए विशिष्ट योजनाएं और परियोजनाएं चला रही हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि संसाधनों और ज्ञान को साझा करने तथा क्षेत्रीय विसंगतियों को रोकने के लिए विभिन्न क्षेत्रों, संगठनों और पहलों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता है। संसाधनों की कमी एक सतत चिंता और समस्या है, क्योंकि कई सरकारी संगठनों के पास समुदायों को संगठित करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, जबकि सामुदायिक समूहों को अक्सर धन, प्रौद्योगिकियों और विशेषज्ञता की कमी का सामना करना पड़ता है। सामुदायिक अग्नि निवारण नेटवर्क और योजनाओं का निर्माण करके जो विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ते हैं, वित्तपोषण के अवसरों, ज्ञान और उपकरणों को साझा करने के तरीके उत्पन्न करना संभव हो सकता है, जिससे संसाधन संबंधी समस्याओं का समाधान करने में मदद मिल सके।
इकोडोर्प बोकेल में भी प्रौद्योगिकी का असमान क्षेत्रीय वितरण स्पष्ट था। एक जीवित प्रयोगशाला के रूप में अपनी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के साथ इकोविलेज को एक पीआर टीम और अनुदान आवेदन लिखने के लिए समर्पित समिति से लाभ मिला, जो नियमित रूप से वित्त पोषण और तकनीकी सहायता में तब्दील हो गया। इकोडोर्प बोएकेल एक विशिष्ट डच ग्रामीण बस्ती के बाहरी इलाके में स्थित है। हालांकि दोनों पक्षों द्वारा नियमित रूप से इकोविलेज ओपन डेज और वार्षिक बैठकों के माध्यम से बातचीत को सुविधाजनक बनाने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन इन आवासों में प्राप्त धन और रखे गए मूल्यों के बीच विसंगतियां हैं। विषम समर्थन और वित्तपोषण के कारण कुछ समुदायों को अन्य समुदायों पर प्राथमिकता देने से ऐसे चक्रों को बढ़ावा मिल सकता है जो कम संपर्क वाले समुदायों को अलग-थलग कर देते हैं तथा असमानताओं को और गहरा कर देते हैं।
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच और उपयोग की क्षमता भी समुदायों के बीच असमान रूप से वितरित हो सकती है। हमारे शोध में पाया गया कि यह असमानता अक्सर विशेषज्ञता, लिंग, वर्ग या अन्य पूर्व-मौजूदा असमानताओं के संबंध में होती है। उत्तराखंड में वन गुज्जर समुदायों और बुजांग राबा के समुदायों के साथ हमारे शोध के दौरान यह विशेष रूप से स्पष्ट हुआ, जहां पारंपरिक लिंग और पीढ़ीगत भूमिकाएं कठोर रूप से परिभाषित हैं। इन दोनों केस अध्ययनों में, स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों ने पीढ़ीगत और कुछ हद तक लिंग आधार पर गतिशीलता को थोड़ा बदल दिया।
वन गुज्जरों के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक पहुंच और उनका उपयोग मुख्य रूप से माध्यमिक शिक्षा प्राप्त युवाओं तक ही सीमित है। इस समुदाय में परिवार के मुखिया ने आमतौर पर डिजिटल मानचित्रण या सामुदायिक संगठन, वन गुज्जर आदिवासी युवा में बहुत कम रुचि दिखाई। संगठन (वीजीटीएस) वन अधिकार अधिनियम के माध्यम से भूमि अधिकारों को सुरक्षित करने की मांग कर रहा है। पुरानी पीढ़ी प्रायः प्रौद्योगिकियों और राज्य प्रक्रियाओं दोनों पर अविश्वास करती है। ऐसी स्थिति में युवा, शिक्षित पुरुष ही स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के मुख्य उपयोगकर्ता बन जाते हैं।
बुजांग राबा में स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों को युवा लोगों द्वारा संचालित और समझा जाता है, विशेष रूप से वे जो वन गश्ती में काम करते हैं। इन प्रौद्योगिकियों ने समुदाय में युवाओं की स्थिति को मजबूत किया है और ग्राम वन प्रबंधन इकाई में परिवर्तन लाकर, जहां पहले वृद्ध पुरुषों का वर्चस्व था, युवाओं को भी इसमें शामिल किया गया है। के.के.आई. वारसी ने केवल युवाओं के लिए गतिविधियां भी शुरू की हैं, जिससे तनाव पैदा हो गया है, एक गांव के प्रधान ने शिकायत की है कि एनजीओ बुजुर्गों की तुलना में युवाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। ये स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां इन समुदायों में युवा पुरुषों के लिए स्थिति और सामाजिक बंधन बना सकती हैं तथा वृद्ध पुरुषों को कम महत्वपूर्ण बना सकती हैं। एक जोखिम यह है कि स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां कुछ पुरानी पीढ़ियों के मूल्यों और वन जगत को समझने और उसमें निवास करने के तरीकों को मिटा सकती हैं।
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का भी इन अत्यधिक लिंगभेदी समुदायों में महिलाओं की स्थिति पर मामूली प्रभाव पड़ा। उत्तराखंड के वन गुज्जर समुदायों में महिलाएं निर्णय लेने वाली संस्थाओं में भाग नहीं लेती हैं तथा पुरुषों की तुलना में वे जंगलों में अधिक समय बिताती हैं। हालाँकि, वन गुज्जर जनजातीय युवा संगठन (वीजीटीएस) के उदय के बाद से , महिलाओं को स्थान-निर्धारण और सहभागी मानचित्रण प्रक्रिया में शामिल किया जाने लगा है और एक महिला विंग की स्थापना की गई है। फील्ड स्कूल के दौरान, वन गुज्जर समुदाय में लिंग की भिन्न प्राथमिकताएं, उनके द्वारा मानचित्रित विपरीत स्थलों के माध्यम से स्पष्ट हो गईं। इस बीच, बुजांग राबा में सामुदायिक कार्बन परियोजना के कारण पांच गांवों में महिला सहकारी समितियों की स्थापना हुई है, जो रतन जैसे हस्तशिल्प का उत्पादन करती हैं। फिर भी, कार्य और सामाजिक परिवेश में लिंग-भेद व्यापक रूप से जारी रहा है, तथा ग्राम वन इकाई समिति में महिलाएं अनुपस्थित हैं। समुदाय-नेतृत्व वाली स्मार्ट वन परियोजनाएं विभिन्न लिंग समूहों के लिए नए अवसर पैदा कर सकती हैं, लेकिन वे पारंपरिक गतिशीलता को भी कायम रख सकती हैं।
विशेष रूप से, हमारे स्मार्ट वन अनुसंधान परियोजना ने असमान संसाधन वितरण की कुछ गतिशीलता में भाग लिया, क्योंकि हमने काम करने के लिए विशिष्ट समुदायों का चयन किया था। हमने इन केस स्टडीज को आंशिक रूप से इसलिए चुना क्योंकि व्यक्तिगत शोधकर्ताओं का इन स्थानों से संबंध था और आंशिक रूप से इसलिए क्योंकि इनसे यह समझने का अवसर मिला कि समुदाय किस प्रकार आग, कार्बन, जैव विविधता और भूमि अधिकारों जैसी प्रमुख पर्यावरणीय चिंताओं के संबंध में स्मार्ट वनों के साथ जुड़ रहे हैं। इन चयनित केस स्टडी समुदायों से परे अपने निष्कर्षों को साझा करने में, हम ज्ञान के व्यापक नेटवर्क में योगदान करने और अनुसंधान, ज्ञान और वित्त पोषण के वितरण में हस्तक्षेप का सुझाव देने की आशा करते हैं।

स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां हैं वन प्रशासन में परिवर्तन [निष्कर्ष 3]
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के कारण वनों में प्रौद्योगिकीविदों, शोधकर्ताओं, ई-एनजीओ और बहुराष्ट्रीय निगमों की भागीदारी बढ़ी है। चूंकि ये बाहरी कर्ता प्रायः प्रौद्योगिकियों और नेटवर्कों की डिजाइन, विकास या नियंत्रण करते हैं, इसलिए स्मार्ट वन पर्यावरणीय शासन में परिवर्तन ला रहे हैं। हमारा शोध बताता है कि स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां शासन को समुदायों और स्थानीय तथा राष्ट्रीय सरकारी कर्ताओं से हटाकर स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों और निजी प्रौद्योगिकी कंपनियों की ओर स्थानांतरित कर रही हैं।
डेटा प्रथाओं के संबंध में वन प्रशासन में परिवर्तन ला अराउकेनिया, चिली में स्पष्ट दिखाई दिए। यहां सार्वजनिक और निजी क्षेत्र वन प्रौद्योगिकियों और आंकड़ों को साझा करते हैं, तथा निजी वानिकी कंपनियों के पास जंगल की आग की निगरानी, पूर्वानुमान और रोकथाम के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश प्रौद्योगिकी (जैसे वॉचटावर और कैमरे) होती है। वानिकी कम्पनियां डेटा डैशबोर्ड और कमांड सेंटर के माध्यम से राष्ट्रीय वानिकी निगम, कॉनफ के साथ डेटा साझा करती हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि यह डेटा साझा करना स्वैच्छिक है या कानून द्वारा आवश्यक है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह डेटा समुदायों के लिए उपलब्ध नहीं है तथा इसे निरीक्षण और निर्णय लेने के अधिक विशेषज्ञ और श्रेणीबद्ध स्थान के भीतर रखा जाता है। इनमें से कई अग्नि प्रौद्योगिकियों के कारण विशेषज्ञता का अभाव पैदा हो जाता है, क्योंकि अग्निशमन कर्मियों और रेंजरों के पास ऐसे डेटा और उपकरण उपलब्ध हो सकते हैं जो स्थानीय समुदायों द्वारा आसानी से उपलब्ध नहीं होते या जिनका उपयोग नहीं किया जाता।
इसके अलावा, चिली का वन प्रशासन भी अपने संचार बुनियादी ढांचे के प्रमुख पहलुओं में निजी कंपनियों के साथ उलझा हुआ है, क्योंकि आग की चेतावनी जारी करने और प्रतिक्रियाओं के समन्वय के लिए व्हाट्सएप पर निर्भर रहना पड़ता है। यह निर्भरता स्थानीय समुदायों द्वारा इन परियोजनाओं का नेतृत्व करने की संभावना पर प्रश्न उठाती है। यह पर्यावरणीय शासन को सार्वजनिक निकायों से हटाकर निजी प्रौद्योगिकी कम्पनियों की ओर स्थानांतरित करने की ओर इशारा करता है। इसमें सुझाव दिया गया है कि प्रौद्योगिकियों और अवसंरचनाओं का सार्वजनिक स्वामित्व, या कम से कम प्रौद्योगिकियों के निजी प्रदाताओं में विविधता लाने से स्मार्ट वन परियोजनाएं और राज्य पर्यावरण विभाग अधिक लचीले बन सकेंगे।
बुजांग राबा में हमने अधिक स्थानीय स्तर पर देखा कि किस प्रकार वन प्रशासन में परिवर्तन लाया जा सकता है, जब स्थानीय समुदाय बाहरी साझेदारों के साथ उलझ जाते हैं। हालांकि डेटा संग्रहण उपकरणों का स्वामित्व समुदाय के पास है (जीपीएस उपकरण ग्राम वन प्रबंधन समिति के पास हैं, तथा स्मार्टफोन व्यक्तिगत हैं), लेकिन एकत्रित डेटा विश्लेषण के लिए स्थानीय समुदाय के लिए कम सुलभ है, तथा इसे जाम्बी शहर में एनजीओ केकेआई वारसी के मुख्य कार्यालय के विशेषज्ञों द्वारा संसाधित किया जाता है। केकेआई वारसी उच्च तकनीक से लैंडसैट डेटा संग्रहण और विश्लेषण भी करता है। उल्लेखनीय रूप से, व्यवसायी डेटा प्रबंधन प्रपत्रों का उपयोग नहीं करते हैं और डेटा स्वामित्व और गोपनीयता के प्रति उनके दृष्टिकोण कम स्पष्ट होते हैं। इसके अतिरिक्त, समुदाय के सदस्यों को ऐसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है जो समुदाय के दैनिक कामकाज के लिए उपयोगी होने के बजाय, निजी प्रमाणन निकाय, प्लान विवो के मानकों को पूरा करने के लिए तैयार की गई हों।
नीदरलैंड के इकोडोर्प बोकेल में स्थानीय प्रतिभागियों ने विशेषज्ञता के अंतराल तीव्र तकनीकी नवाचार तथा सामुदायिक ज्ञान से अधिक जटिल होती कम्प्यूटेशनल विशेषताओं के बारे में पुनः चिंता व्यक्त की। स्थानीय समुदाय के प्रतिभागियों ने यह भी कहा कि वे बाहरी शोधकर्ताओं को उनकी शोध परियोजनाओं में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण समय और ऊर्जा खर्च कर सकते हैं। एक ओर, यह दर्शाता है कि समुदाय के सदस्य जैव विविधतापूर्ण भविष्य बनाने के अपने मूल्यों को अपने रोजमर्रा के जीवन में कैसे एकीकृत कर सकते हैं। दूसरी ओर यह दर्शाता है कि वित्तपोषित बाहरी विशेषज्ञ किस प्रकार स्थानीय पर्यावरण परियोजना के प्रशासन और महत्वाकांक्षाओं में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
इन निष्कर्षों के आलोक में हमारे शोध ने उन तरीकों की ओर इशारा किया है जिनसे समुदाय स्मार्ट वन पहलों को प्रभावी ढंग से संचालित कर सकते हैं तथा डेटा संग्रह, प्रसंस्करण और डिजाइन में शामिल हो सकते हैं। अच्छे व्यवहारों में बाह्य सहयोगी निकाय, जैसे गैर सरकारी संगठन, शामिल थे, जो टिकाऊ दीर्घकालिक वित्तपोषण, प्रशिक्षण और सहभागिता प्रदान करते थे। इसे केकेआई वारसी की बुजांग राबा समुदाय के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता में देखा जा सकता है। यहां, रिश्ते लंबे समय तक कायम रहे हैं, केकेआई वारसी फील्ड टीम के सदस्य हर महीने तीन सप्ताह तक गांवों में रहते हैं। केकेआई वारसी ने समुदाय के सदस्यों को प्रशिक्षण की भी पेशकश की है। इसी तरह कानूनी शोधकर्ता एक दशक से उत्तराखंड में वन गुज्जर समुदायों के साथ काम कर रहे हैं। यह पुनरावृत्तीय, धीमा समर्थन और अनुसंधान विश्वास और सामुदायिक कौशल का निर्माण करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों को यथासंभव व्यापक दर्शकों तक पहुंच योग्य बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए. डेटा स्वामित्व और गोपनीयता समुदाय के सदस्यों के लिए स्पष्ट होनी चाहिए । और जहां संभव हो, वहां नागरिक विज्ञान ऐप या जीपीएस डिवाइस जैसी कम तकनीक वाली सस्ती प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाना चाहिए।
हमारे शोध से यह भी पता चला है कि इकोडोर्प बोइकेल जैसी जीवित प्रयोगशालाएं स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों को और अधिक लोकतांत्रिक ढंग से डिजाइन करने में सक्षम बना सकती हैं, जिन्हें वर्तमान में लगभग विशेष रूप से प्रौद्योगिकीविदों, पारिस्थितिकीविदों और परियोजना वित्तपोषकों द्वारा विकसित किया जाता है। जीवित प्रयोगशालाएं समुदायों को साइट पर परीक्षण की जा रही प्रौद्योगिकियों पर प्रतिक्रिया देने तथा उनके विकास में प्रारंभिक हस्तक्षेप करने की अनुमति दे सकती हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए एक नाजुक संतुलन कायम किया जाना चाहिए कि शोधकर्ताओं के प्रश्न जीवित प्रयोगशाला समुदाय के सदस्यों के प्रश्नों और हितों के साथ संरेखित हों। इन स्मार्ट वन परियोजनाओं का नेतृत्व करने के लिए समुदायों को सक्षम बनाने तथा शक्ति और सूचना तक पहुंच की विषमताओं से बचने के लिए सावधानीपूर्वक विश्वसनीय साझेदारियां बनाई जानी चाहिए।
हमारा अपना स्मार्ट वन अनुसंधान इन गतिशीलताओं से जुड़ा हुआ है। इस प्रकार, हमने पारस्परिक और टिकाऊ संलग्नता बनाने का प्रयास किया, प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के तरीके पर शिक्षण की पेशकश की, सहयोगात्मक बहु-अभिनेता फील्ड स्कूल आयोजित किए, पुनरावृत्त संलग्नताएं आयोजित कीं, और शोध परिणामों में सामुदायिक आवाजों को सामने लाया। हम यह भी आशा करते हैं कि परियोजना के परिणाम जिनमें रिपोर्ट, फिल्में, पॉडकास्ट और शैक्षिक पत्र शामिल हैं समुदायों के लिए उपयोगी हो सकते हैं (उदाहरण के लिए, भूमि दावे प्रस्तुत करने वाले वन गुज्जर समुदायों के लिए अंतर्राष्ट्रीय ध्यान के प्रमाण के रूप में)। हम चाहते हैं कि यह रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर तथा उससे परे, पर्यावरण प्रशासन में परिवर्तन के बारे में महत्वपूर्ण चर्चा को प्रेरित करे।

स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां हैं के बीच सत्ता की गतिशीलता में बदलाव समुदाय, राज्य और तकनीकी कंपनियाँ [निष्कर्ष 4]
राज्य के कर्ता-धर्ता और प्रौद्योगिकी कंपनियां, न केवल वन जगत, बल्कि वन समुदायों के विनियमन, परिवर्तन, डेटाकरण और अवलोकन को बढ़ाने के लिए स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करती हैं। उदाहरण के लिए हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय राज्य ने उपग्रह इमेजरी, कैमरा ट्रैप और ड्रोन जैसी स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का उपयोग ज्ञान उत्पन्न करने के लिए किया, जिसके परिणामस्वरूप वन गुज्जरों को उनकी भूमि से प्रारंभिक रूप से बेदखल कर दिया गया। वन गुज्जरों को राज्य सरकार वन भूमि पर अतिक्रमणकारी मानती है तथा उन्हें अपनी मुस्लिम, खानाबदोश पहचान के कारण राजनीतिक रूप से हाशिए पर रखा जाता है। वन गुज्जर समुदायों की निगरानी, धमकी और नियंत्रण के लिए राज्य द्वारा स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का उपयोग जारी है (कोविड-19 के दौरान समुदायों पर कीटाणुनाशक का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का उपयोग किए जाने की रिपोर्टें भी हैं)। राज्य ने वन गुज्जरों की जीपीएस जैसे स्मार्ट वन उपकरणों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
इंडोनेशिया में, राज्य विनियमन ने, यद्यपि कम कपटपूर्ण तरीके से, बुजांग राबा समुदायों की अपने उद्देश्यों के लिए स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों को लागू करने की क्षमता में हस्तक्षेप किया है। बुजांग राबा में सामुदायिक कार्बन परियोजना अक्टूबर 2021 में अचानक बाधित हो गई थी जब इंडोनेशियाई सरकार ने राष्ट्रपति विनियमन संख्या 100 जारी की। 98/2021 (रेग 98) राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्राप्त करने के लिए कार्बन आर्थिक मूल्य को लागू करने पर। इस नए विनियमन के तहत, इंडोनेशिया में सभी कार्बन गतिविधियां केवल तभी जारी रखी जा सकेंगी जब इंडोनेशिया रजिस्ट्री सिस्टम उन्हें मंजूरी दे देगा। नए विनियमन के जवाब में, केकेआई वारसी ने 2022 की शुरुआत में बुजांग राबा परियोजना को पंजीकृत किया और इंडोनेशियाई विनियमन के आधार पर एक नया सत्यापन किया। हालाँकि, इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक रजिस्ट्री प्रणाली ने अभी तक परियोजना को मंजूरी नहीं दी है। इसके परिणामस्वरूप सामुदायिक परियोजना के लिए अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है और यह प्रदर्शित हुआ है कि किस प्रकार समुदाय द्वारा संचालित परियोजनाएं उनके नियंत्रण से परे शक्तियों के अधीन हो सकती हैं।
स्मार्ट वन सामुदायिक परियोजनाएं निजी प्रौद्योगिकी कंपनियों और वित्तपोषकों की भागीदारी से भी बनाई जा सकती हैं। उदाहरण के लिए इकोडोर्प बोएकेल सामुदायिक और विकास पहलों को पूरा करने के लिए बाहरी वित्तपोषण पर निर्भर है। बाह्य वित्तपोषण पर निर्भरता के कारण टकराव पैदा होता है, क्योंकि जहां इकोविलेज का उद्देश्य सीखने और प्रयोग करने का स्थान बनना है, वहीं इस पर आंतरिक और बाह्य दबाव है कि वह स्वयं को एक प्रमुख परियोजना और सफल परीक्षण स्थल के रूप में प्रस्तुत करे, ताकि आगे वित्तपोषण और समर्थन आकर्षित किया जा सके। इसमें जोखिम है कि यदि प्रयोग विफल हो गए, तो भविष्य में वित्तपोषण के अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के डर से जीवित प्रयोगशाला परिणामों के बारे में पूरी तरह से खुलासा नहीं करेगी। ये निष्कर्ष नवाचार प्रथाओं को उनके सामाजिक-राजनीतिक संबंधों से जोड़ने के महत्व को रेखांकित करते हैं तथा समुदायों को अनुसंधान और नवाचार के लिए परीक्षण स्थल के संबंध में आलोचनात्मक प्रथाओं, अनिश्चितता और चल रहे मुद्दों को साझा करने में सक्षम बनाने के तरीकों को खोजने के महत्व को रेखांकित करते हैं, बिना वित्त पोषण वापस लिए जाने के खतरे के।
इसके विपरीत, हमारे शोध ने प्रदर्शित किया कि कैसे कुछ डिजिटल प्रौद्योगिकियां अवैध गतिविधियों और दुर्व्यवहारों का दस्तावेजीकरण करने, भूमि अधिकारों का मानचित्रण करने और उन पर जोर देने, तथा राज्यों या निजी कंपनियों द्वारा प्रस्तुत किए गए आख्यानों के लिए वैकल्पिक आख्यान बनाने के लिए उपकरण प्रदान करके वन समुदायों को सशक्त बनाने में मदद कर सकती हैं। यह बात वन गुज्जरों द्वारा वन अधिकार अधिनियम के लिए अपनी भूमि का मानचित्रण करने के तरीकों से स्पष्ट है, जिसमें भू-स्थानिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जिसमें ड्रोन और भैंसों के सींगों पर लगे जी.पी.एस. उपकरण शामिल हैं। इसी प्रकार, बुजांग राबा में वन गश्ती दल वन भूमि पर अतिक्रमण का दस्तावेजीकरण करने तथा इन स्थानों के संरक्षण के लिए साक्ष्य तैयार करने हेतु प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हैं।

स्मार्ट फ़ॉरेस्ट टेक्नोलॉजीज जंगलों के नेटवर्क को सशक्त और सक्षम बना सकती हैं [निष्कर्ष 5]
सामुदायिक-नेतृत्व वाले स्मार्ट फ़ॉरेस्ट प्रोजेक्ट पारंपरिक सत्ता संरचनाओं को चुनौती दे सकते हैं, क्योंकि वे समुदायों को अपने भौगोलिक सीमाओं से परे जुड़ने और व्यापक पर्यावरणीय मुद्दों में भाग लेने में सक्षम बनाते हैं।
उदाहरण के लिए इकोडॉर्प बोकेल ने डिजिटल नेटवर्क और तकनीकी प्रयोगों के माध्यम से ग्लोबल ईकोविलेज नेटवर्क, राष्ट्रीय और स्थानीय स्थिरता संगठनों, तीन स्थानीय ईकोविलेजों, फंडिंग संस्थाओं और औद्योगिक भागीदारों के साथ संबंध विकसित किए हैं। यह समुदाय विभिन्न स्तरों की शासन प्रणालियों जैसे स्थानीय नगरपालिका के राजनेता, प्रांत स्तर के हितधारक, उपयोगिता कंपनियां और यूरोपीय संघ के फंडर के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है।
इसी प्रकार, वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन (VGTS) ने अपनी नेटवर्किंग क्षमताओं को विकसित करने के लिए तकनीकों का उपयोग किया है। उदाहरणस्वरूप VGTS अपने फेसबुक पेज और व्हाट्सएप ग्रुप का उपयोग चराई, वन्यजीव, वनों की कटाई, पशु क्षति और राज्य संस्थानों या अन्य समुदायों द्वारा होने वाले उत्पीड़न, शोषण और अन्याय से संबंधित जानकारी साझा करने में करता है। डिजिटल नेटवर्क ने वन गुज्जरों को People’s Initiative for Forest Rights नामक सामाजिक संगठन से भी जोड़ा है। हालांकि, वन अधिकार अधिनियम पर होने वाली बैठकों और कार्यशालाओं को छोड़कर, इस समूह के साथ उनकी भागीदारी सीमित है, क्योंकि चर्चा अक्सर सैद्धांतिक होती है और वन गुज्जरों के विशिष्ट संदर्भ से मेल नहीं खाती। इसी प्रकार, बुजंग रबा में कार्बन निगरानी पर आधारित सामुदायिक परियोजना ने केकेआई वारसी, प्लान विवो और कार्बन बाजारों के साथ संबंध स्थापित किए हैं। ये विस्तृत नेटवर्क समुदाय की धारणा को व्यापक और जटिल बनाते हैं।
ला अराउकानिया में स्मार्ट फ़ॉरेस्ट फील्ड स्कूल के प्रतिभागियों और साक्षात्कारकर्ताओं ने जंगल नेटवर्कों को मज़बूत करने और उनमें विभिन्न प्रकार के हितधारकों को जोड़ने के विचार का भरपूर समर्थन किया। उनका मानना था कि प्रौद्योगिकी इन विकासों को सुविधाजनक बना सकती है जिससे शैक्षणिक, कलात्मक, संरक्षण, राज्य और समुदाय प्रतिनिधियों के बीच कनेक्शन बन सकें। इसके साथ-साथ उन्होंने शिक्षा को एक ऐसे उपकरण के रूप में देखा जो वाइल्डफ़ायर टेक्नोलॉजीज़ के फोकस को केवल आपातकालीन प्रतिक्रिया और प्रबंधन से हटाकर रोकथाम, संवाद और शिक्षा की ओर स्थानांतरित कर सकती है।
फील्ड स्कूल प्रतिभागियों और साक्षात्कारकर्ताओं ने यह भी उल्लेख किया कि गैर-राज्य संस्थान जैसे विश्वविद्यालय, फाउंडेशन और एनजीओ जंगल की आग से संबंधित ज्ञान और उत्तरदायित्व के शैक्षिक और निवारक पहलुओं को विस्तृत और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि कुछ प्रतिभागियों ने विश्वविद्यालयों के साथ अपने संबंधों में दूरी की बात भी कही और सुझाव दिया कि इन संस्थानों को नागरिकों के अनुकूल संवादात्मक योगदानों को बढ़ावा देने और सामुदायिक नेटवर्कों एवं उनके पर्यावरणीय अवलोकनों को समर्थन देने में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
साक्षात्कारों में यह भी सामने आया कि समुदाय सरकार को भी शिक्षित कर सकते हैं क्योंकि वे अपने क्षेत्र के बारे में सबसे अधिक जानते हैं और खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम हैं। साथ ही कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि विभिन्न मंत्रालयों को आपस में बेहतर समन्वय करना चाहिए ताकि वे पर्यावरणीय समस्याओं को एकल मुद्दे की बजाय समग्र दृष्टिकोण से समझ सकें।
हमारे शोध से संकेत मिलता है कि यदि ला अराउकानिया में आग की रोकथाम को वाइल्डफ़ायर प्रथाओं का प्रमुख हिस्सा बनाना है, तो इसके लिए मजबूत और विविध सामाजिक संगठन, बहुलतावादी पर्यावरणीय भागीदारी, और शिक्षा व तकनीक के साथ रचनात्मक जुड़ाव की आवश्यकता होगी, ताकि सामुदायिक भागीदारी को प्रभावी ढंग से बनाया और बनाए रखा जा सके।



वन प्रौद्योगिकियों के लिए प्रस्ताव
निम्नलिखित शोध और नीति अनुशंसाएं स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के लिए समुदाय-नेतृत्व वाले दृष्टिकोणों को प्रभावी ढंग से डिजाइन, कार्यान्वित और समर्थित करने के लिए रणनीतियों की पेशकश करती हैं। हम इस बात पर विचार करते हैं कि टिकाऊ डिजाइन, उपयोग, समर्थन और वित्तपोषण के माध्यम से स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां कैसे अधिक न्यायसंगत हो सकती हैं। हम केवल डिजिटल प्रौद्योगिकियों से आगे देखने तथा वन संबंधी विविध तकनीकों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के तरीके प्रस्तावित करते हैं, जिनमें एनालॉग, पैतृक और पारिस्थितिकीय तकनीकें भी शामिल हैं।
ये सिफारिशें हमारे साक्षात्कारों और केस स्टडी समुदायों के साथ किए गए शोध, साथ ही मौजूदा साहित्य, प्रथाओं, प्रौद्योगिकियों और नीतियों की हमारी समीक्षाओं से ली गई हैं। हमारा उद्देश्य ऐसे सुझाव तैयार करना है जो वन प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न हितधारकों के लिए प्रासंगिक हों, जिनमें समुदाय, नागरिक समाज संगठन, आम लोग, गैर सरकारी संगठन, वित्तपोषक, प्रौद्योगिकीविद, उद्योग जगत के लोग, शोधकर्ता और नीति निर्माता शामिल हैं।
1. सामुदायिक ज्ञान को एकीकृत करने के लिए वन प्रौद्योगिकियों के साथ बहुलतापूर्ण जुड़ाव
हमारा शोध इस बात की ओर संकेत करता है कि वनों को जानने और उनमें निवास करने के अन्य तरीकों के साथ-साथ डिजिटल और अन्य प्रकार की प्रौद्योगिकियों की भी आवश्यकता है। इन प्रौद्योगिकियों को पारिस्थितिकी तंत्र का मात्र ‘वस्तुनिष्ठ’ डिजिटल प्रतिबिम्ब नहीं माना जाना चाहिए। इसके बजाय उन्हें पर्यावरणीय ज्ञान और अनुभव को पूरक बनाने वाले उपकरणों के साथ जोड़ा जाना चाहिए, जिससे वनों को पहचानने और उनमें निवास करने के मौजूदा तरीकों में योगदान दिया जा सके और उन्हें जटिल बनाया जा सके।
डिजिटल वन प्रौद्योगिकियों के कारण सामुदायिक ज्ञान के तरीकों पर ग्रहण लगने का खतरा है तथा जटिल वन जगत को केवल सुदूर मानचित्रित प्रेक्षणों या कार्बन या प्रजातियों पर मुद्रीकरण योग्य आंकड़ों तक सीमित कर देने का खतरा है। इससे अन्य कम पहचानी जा सकने वाली प्रजातियों, संस्कृतियों, इतिहासों और पारिस्थितिक कार्यों की उपेक्षा हो सकती है। पुरानी पीढ़ियां विशेष रूप से असुरक्षित हो सकती हैं, क्योंकि वे आमतौर पर डिजिटल अवसंरचनाओं से कम जुड़ी होती हैं, जिससे उनके दृष्टिकोणों को नजरअंदाज किए जाने की अधिक संभावना होती है।
समुदाय के नेतृत्व वाली वन प्रौद्योगिकी पहलों को प्रौद्योगिकियों के डिजाइन और क्रियान्वयन में पैतृक और स्थानीय ज्ञान के साथ-साथ भिन्न-भिन्न सामाजिक-राजनीतिक दृष्टिकोणों को भी शामिल करने के लिए सचेत रूप से काम करना चाहिए। स्मार्ट वन जगत को जानने और उसमें रहने के तरीकों को बहुल बनाने के लिए, हम समुदाय-आधारित वन प्रौद्योगिकियों के साथ काम करते समय डिजिटल, एनालॉग और पैतृक तरीकों को एकीकृत करने की अनुशंसा करते हैं।
उदाहरण के लिए, उत्तराखंड में हमारे फील्ड स्कूलों के दौरान शोधकर्ताओं और प्रतिभागियों ने गांव के क्षेत्रों की भागीदारीपूर्ण पेपर मैपिंग को जीपीएस मैपिंग के साथ जोड़ा। प्रतिभागियों ने जमीनी स्तर पर सामुदायिक अनुभवों को बयान करने के लिए वीडियो फुटेज का भी इस्तेमाल किया और ड्रोन फुटेज द्वारा निर्मित कथा को और जटिल बना दिया। इस बीच इकोडोर्प बोएकेल में फील्ड स्कूल के दौरान शोधकर्ताओं ने जैव विविधता के बारे में सामुदायिक बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए चंचल क्यूआर-कोड स्कैनिंग की सुविधा वाला एक इंटरैक्टिव इंस्टॉलेशन बनाया। इन वार्तालापों में प्रौद्योगिकी डिजाइन और डेटा में पूर्वाग्रहों को स्वीकार करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
अंतःविषयक और प्रयोगात्मक सहयोग को बढ़ावा देकर वन जगत की समझ और अनुभवों को बहुल बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए चिली में कलाकारों और वैज्ञानिकों ने मिलकर अग्नि संबंधी कहानियां तैयार कीं, जिन्होंने सामुदायिक अग्नि निवारण योजनाओं और नेटवर्कों के लिए विचार-विमर्श और विचारों को रचनात्मक रूप से प्रभावित किया। आग के साथ सांस्कृतिक जुड़ाव को शामिल करके अधिक संबद्ध और व्यवहार्य शिक्षा और रोकथाम योजनाओं की रचना करना संभव है। इसके अलावा कुछ स्मार्ट फॉरेस्ट फील्ड स्कूलों ने’नैतिक कल्पना को प्रोत्साहित किया, जिसमें पूर्वजों, भविष्य की पीढ़ियों और ‘मानव से अधिक’ संस्थाओं के दृष्टिकोण से पर्यावरणीय चुनौतियों पर विचार करना शामिल है, जिससे अधिक वास्तविक समय उद्देश्यों पर केंद्रित तकनीकी कथाओं को जटिल बना दिया जाता है।
2. सुनिश्चित करें कि वन प्रौद्योगिकियां सुलभ हों और समुदायों के भीतर संसाधन सीमाओं को संबोधित करते हुए कई समुदाय के सदस्यों तक वितरित की जाएं
यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां प्रभावी रूप से समुदाय द्वारा संचालित हों, यह आवश्यक है कि वे सुलभ हों तथा समुदाय के विभिन्न सदस्यों के बीच वितरित हों। जैसा कि इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के लागू होने से असमानताएं बदल सकती हैं या बनी रह सकती हैं, जिनमें लिंग, वर्ग, शिक्षा, जातीयता, नस्ल, धर्म और पीढ़ीगत गतिशीलता शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं। इस कारण, समुदायों के भीतर और सभी समुदायों के बीच प्रौद्योगिकी के साथ निष्पक्ष जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए समान वितरण और पहुंच अत्यंत महत्वपूर्ण है।
शासन के विभिन्न स्तरों पर अनेक उपायों द्वारा सुगमता को सुगम बनाया जा सकता है। न केवल आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रौद्योगिकियों, डेटा गोपनीयता, प्रसंस्करण और भंडारण पर शिक्षा और प्रशिक्षण भी प्रदान करना महत्वपूर्ण है। यह दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि समुदायों को केवल डेटा स्रोत के रूप में नहीं देखा जाए। सामुदायिक नेताओं और सहयोगियों को भी स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों को सावधानीपूर्वक इस तरह से तैयार करना चाहिए कि भूमि अधिकार, आजीविका या अग्नि निवारण जैसे व्यापक संरचनाओं और पर्यावरणों में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दिया जा सके।
समुदायों को यह भी समझना चाहिए कि प्रभावी वन डेटा तैयार करने के लिए हमेशा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण के लिए, सभी केस अध्ययनों में हमने पाया कि जीपीएस डिवाइस, ड्रोन और स्मार्टफोन जैसी प्रौद्योगिकियां सस्ती, उपयोग में आसान और अपेक्षाकृत कम तकनीक वाली हैं। ऐसे उपकरणों और प्रथाओं से सामुदायिक वन्य अग्नि आयोजन, सहभागी मानचित्रण, जैव विविधता मानचित्रण और वन गश्ती में सुविधा हो सकती है।
अंत में, नीति निर्माता डिजिटल वन प्रौद्योगिकियों के लिए मानक स्थापित करने पर विचार कर सकते हैं, जो ‘डिजाइन द्वारा समावेशी’ हों, तथा जो लोग निरक्षर हैं, उनके लिए पहुंच को प्रोत्साहित और सुनिश्चित करें। उन्हें संसाधन संबंधी बाधाओं पर भी विचार करना चाहिए ताकि प्रौद्योगिकियां सामुदायिक समूहों के लिए सस्ती हो सकें।
3. विविध वन प्रौद्योगिकियों के सह-डिजाइन को प्रोत्साहित करें
समुदायों के लिए उपयोगी और प्रयोग योग्य वन प्रौद्योगिकियों का निर्माण करने के लिए, शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकीविदों को समुदायों के साथ मिलकर सह-डिजाइन करना चाहिए। समुदायों द्वारा और उनके लिए निर्मित डिजिटल उपकरण और अवसंरचनाएं समुदायों को मजबूत बना सकती हैं, सामुदायिक संगठनों के प्रभाव को बढ़ा सकती हैं, तथा विविध और टिकाऊ प्रौद्योगिकी प्रणालियों को बढ़ावा दे सकती हैं।
डच इकोडोर्प बोएकेल इकोविलेज के साथ हमारे शोध ने प्रदर्शित किया कि किस प्रकार जीवित प्रयोगशालाएं समुदायों को प्रौद्योगिकी डिजाइन में योगदान करने का अवसर प्रदान कर सकती हैं। समुदाय, प्रौद्योगिकियों का मौके पर ही परीक्षण कर सकते हैं तथा प्रौद्योगिकी विकास प्रक्रिया के आरंभ में ही उपयोगी हस्तक्षेपों की पहचान करने के लिए पुनरावृत्तीय फीडबैक भेज सकते हैं।
इसी प्रकार, चिली में कला-विज्ञान फील्ड स्कूलों के दौरान, हमने पाया कि पर्यावरण और वन्य आग के बारे में अधिक व्यापक समझ विभिन्न दृष्टिकोणों, ज्ञान और प्रथाओं के माध्यम से विकसित हुई। इन अनुभवों से जुड़ने और इनके आधार पर काम करने के लिए, प्रौद्योगिकीविदों और शोधकर्ताओं को ऐसे शोध प्रश्न तैयार करने चाहिए जो समुदाय के सदस्यों की शोध रुचियों के साथ संरेखित हों, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके तरीके संवादात्मक और पुनरावृत्तीय हों तथा विकास और कार्यान्वयन प्रक्रियाओं के केंद्र में समुदाय की चिंताओं और हितों को रखा जाए।
4. नेटवर्क को जोड़ने और मजबूत करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को जुटाना
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों का व्यापक राजनीतिक प्रभाव होता है, तथा वे राज्यों, निजी प्रौद्योगिकी कम्पनियों और व्यापक नेटवर्क के साथ सामुदायिक सहभागिता में मध्यस्थता और नियमन करती हैं। हमारे शोध ने सुझाव दिया कि प्रौद्योगिकियों का उपयोग पर्यावरण निगरानी और प्रबंधन के कई घटकों को जोड़ने के लिए किया जा सकता है ताकि जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, जल की कमी और पर्यावरणीय खतरों को परस्पर संबद्ध प्रणालियों के हिस्से के रूप में समझा जा सके।
हमने यह भी पाया कि प्रौद्योगिकियों का उपयोग संसाधनों को साझा करने तथा पर्यावरण शिक्षा और संचार को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। वन्य अग्नि की रोकथाम के मामले में, शिक्षा इन खतरों को कम करने में मदद कर सकती है, क्योंकि इनमें से अधिकांश घटनाएं मनुष्य के कारण होती हैं। इस अर्थ में, प्रौद्योगिकियों के सांस्कृतिक पहलू इस बात के लिए केन्द्रीय हैं कि उन्हें कैसे विकसित, क्रियान्वित और अनुरक्षित किया जा सकता है।
5. सुनिश्चित करें कि समुदाय द्वारा संचालित वन प्रौद्योगिकी वित्तपोषण, अनुसंधान और विनियमन स्थान-आधारित, नैतिक और टिकाऊ हो
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों के साथ काम करने वाले समुदायों, वित्तपोषकों और शोधकर्ताओं के बीच नैतिक और टिकाऊ संबंध विकसित किए जाने चाहिए। फाउंडेशनों और गैर सरकारी संगठनों जैसे बाह्य सहयोगी निकायों को समुदायों को टिकाऊ, दीर्घकालिक विशिष्ट वित्तपोषण, प्रशिक्षण और सहभागिता प्रदान करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, इंडोनेशियाई एनजीओ केकेआई वारसी ने बुजांग राबा समुदाय के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता जताई है। केकेआई वारसी समुदाय के सदस्यों और फील्ड टीम के सदस्यों को लंबे समय तक समुदाय के साथ रहने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करता है। इसी तरह, कानूनी शोधकर्ता एक दशक से उत्तराखंड में वन गुज्जर समुदायों के साथ काम कर रहे हैं। चिली में, संरक्षण फाउंडेशन समर्थन करते हैं और अन्य प्रथाओं के अलावा संरक्षण, भूमि प्रबंधन और वन्य अग्नि की रोकथाम के लिए सामुदायिक नेटवर्क निर्माण के स्थल बन सकते हैं। इस प्रकार के पुनरावृत्तीय, धीमे और निरंतर समर्थन और अनुसंधान से विश्वास का निर्माण करने में मदद मिलती है और यह सुनिश्चित होता है कि बाह्य उद्देश्य सामुदायिक हितों के अनुरूप हों।
बाह्य सहायक निकायों को समुदाय-नेतृत्व वाली पहलों में हस्तक्षेप के संभावित अनपेक्षित परिणामों पर भी विचार करना चाहिए, जैसे कि व्यापक क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव। वित्तपोषकों को प्रमुख पहलों को बार-बार वित्तपोषित करके प्रौद्योगिकियों तक असमान पहुंच को बनाए रखने तथा मौजूदा क्षेत्रीय असमानताओं को गहरा करने से बचना चाहिए। इसके बजाय, वित्तपोषक समुदायों के बीच सहयोग को बेहतर बनाने तथा कम ज्ञात सामुदायिक पहलों को वित्तपोषित करने पर विचार कर सकते हैं।
नई प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करते समय, बाह्य निकायों को पारस्परिकता और लाभ साझाकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए, उदाहरण के लिए, आजीविका, शिक्षा के अवसर और पर्यावरणीय सहभागिता जैसी सामुदायिक प्राथमिकताओं को सुनकर और उन पर प्रतिक्रिया देकर। बाह्य सहायक निकायों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि प्रौद्योगिकियां किस प्रकार समुदायों के दैनिक कामकाज और स्थानीय आजीविका, जैसे कृषि और वनों की निगरानी को बनाए रख सकती हैं।
शोधकर्ताओं, प्रौद्योगिकीविदों और समुदाय-नेतृत्व वाली स्मार्ट वन पहलों के वित्तपोषकों को असफल प्रयोगों की संभावना के प्रति खुला रहना चाहिए। समुदाय-नेतृत्व वाली प्रौद्योगिकियों को प्रभावी ढंग से विकसित करने के लिए, नवाचार प्रथाओं को सामाजिक-राजनीतिक संबंधों से जोड़ा जाना चाहिए। समुदायों को परीक्षण-स्थल अनुसंधान और नवाचार के संबंध में (आत्म-)आलोचनात्मक प्रथाओं, अनिश्चितता और चल रहे मुद्दों को साझा करने में सक्षम महसूस करना चाहिए, वह भी बिना किसी फंडिंग वापस लिए जाने के खतरे के।
6. सुविधा प्रदान करनाशासन के विभिन्न स्तरों पर वन प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर अंतःविषयक,बहु-अभिनेता सहयोग
स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियों पर निर्णय लेने में समुदायों को न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी शामिल किया जाना चाहिए। इससे अधिक समतापूर्ण सहभागिता संभव होती है और समुदाय राज्य को शिक्षित करने में सक्षम होते हैं, क्योंकि प्रायः वे अपने क्षेत्रों के बारे में सबसे अधिक जानते हैं और उन्हें पर्यावरणीय परिवर्तन का निरीक्षण करने, वनों का प्रबंधन करने तथा खतरों का सामना करने के प्रभावी तरीकों के बारे में जानकारी होती है।
विशेष रूप से चिली में हमारे शोध से पता चला कि विश्वविद्यालयों, संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों सहित गैर-सरकारी संगठन और क्षेत्र, वन अग्नि संबंधी ज्ञान और प्रतिक्रिया के शैक्षिक और निवारक घटकों को व्यापक बनाने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। समुदाय के सदस्यों और फील्ड स्कूल के प्रतिभागियों ने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय सामुदायिक नेटवर्क और उनके पर्यावरणीय अवलोकनों को समर्थन देते हुए संवादात्मक, नागरिक-उन्मुख अवलोकनों को सुविधाजनक बनाने में अधिक केन्द्रीय भूमिका निभा सकते हैं।
अंत में, प्रतिभागियों और साक्षात्कारकर्ताओं ने कहा कि चिली के मंत्रालयों को और अधिक एकीकृत किया जा सकता है, ताकि वे पर्यावरणीय समस्याओं को एकल मुद्दे के आधार पर समझने के बजाय, उनकी जटिलता के आधार पर समझ सकें। इन बहु-अभिनेता सहयोगों को कार्यशालाओं या क्षेत्रीय विद्यालयों जैसे सहभागी तंत्रों के माध्यम से सुगम बनाया जा सकता है, जो शासन के विभिन्न स्तरों से प्रतिभागियों को एक साथ लाते हैं। इन चर्चाओं के दौरान भूमिकाओं और पदों के प्रति सजग जागरूकता को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
7. प्रौद्योगिकी प्रदाताओं में विविधता लाएं और प्रौद्योगिकियों और बुनियादी ढांचे के सार्वजनिक या सामुदायिक स्वामित्व को प्रोत्साहित करें
वन प्रौद्योगिकियां अक्सर निजी अभिनेताओं और नेटवर्क पर निर्भर होती हैं। इससे राज्य और समुदाय द्वारा संचालित स्मार्ट वन पहल एकल-बाज़ार अभिनेताओं के लिए असुरक्षित हो सकती है। प्रौद्योगिकियों और प्रौद्योगिकी अवसंरचना का सार्वजनिक स्वामित्व स्मार्ट वन परियोजनाओं और राज्य पर्यावरण विभागों को अधिक लचीला बना सकता है। सार्वजनिक स्वामित्व के अभाव में, समुदाय के नेतृत्व वाली वन प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के लिए निजी प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के साथ विविधता लाना बुद्धिमानी होगी। अंततः, बदलते वन पर्यावरण के प्रति प्रतिक्रिया बढ़ाने तथा लोगों की अधिक विविधता के लिए अधिक संवादात्मक, शैक्षिक और संचार-उन्मुख प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है।


निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के क्षय के संदर्भ में वनों को वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तेजी से सक्रिय किया जा रहा है, क्योंकि वन जैव विविधता, जल, वायु और कार्बन चक्रों के प्रमुख घटक हैं। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने और सत्यापित करने के लिए सरकारें, तकनीकी विशेषज्ञ, शोधकर्ता, गैर-सरकारी संगठन (NGOs), सार्वजनिक व निजी क्षेत्र और समुदाय मिलकर डिजिटल तकनीकों का उपयोग वनों के प्रबंधन, निगरानी और रूपांतरण के लिए कर रहे हैं। कार्बन संग्रहण की निगरानी के लिए प्रयुक्त LiDAR तकनीक से लेकर भविष्य के वन परिदृश्यों के मॉडल बनाने वाले डिजिटल ट्विन्स, वन्य प्रजातियों की निगरानी हेतु कैमरा ट्रैप्स और वनों की कटाई का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग तक, वन क्षेत्रों के डिजिटलीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, ड्रोन, सेंसर नेटवर्क और मशीन लर्निंग जैसी डिजिटल तकनीकों का उपयोग आपदा प्रबंधन में भी किया जा रहा है जैसे कि जंगल की आग की रोकथाम, पहचान और नियंत्रण हेतु।
हालाँकि वनों में डिजिटल तकनीकों के उपयोग और उन्हें बेहतर बनाने पर पर्याप्त शोध हुआ है, लेकिन स्मार्ट फॉरेस्ट तकनीकों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया गया है। स्मार्ट फॉरेस्ट्स शोध समूह ने इस विषय में योगदान देने के लिए साहित्य समीक्षा, साक्षात्कार, केस स्टडी, फील्ड स्कूल, रचनात्मक कार्यशालाएँ और डेस्क-आधारित अनुसंधान किए हैं। हमने विशेष रूप से यह समझने का प्रयास किया है कि ये तकनीकें समुदायों को कैसे प्रभावित करती हैं। हमारे शोध से यह सामने आया कि स्मार्ट फॉरेस्ट परियोजनाएं समुदायों की भागीदारी और आजीविका को बदल सकती हैं. तकनीकों का वितरण समुदायों के बीच अक्सर असमान होता है और यह संसाधनों की पहले से मौजूद कमी को और गहरा कर सकता है. ये तकनीकें पर्यावरणीय शासन को बदल सकती हैं और समुदायों, राज्यों और प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच शक्ति-संतुलन को पुनर्परिभाषित कर सकती हैं। साथ ही हमने यह भी पाया कि स्मार्ट फॉरेस्ट तकनीकें वनों से जुड़े नेटवर्क को मजबूत कर सकती हैं और वानिकी प्रथाओं से संबंधित ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा दे सकती हैं।
हमारा शोध और उससे उत्पन्न सामग्री इस उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है कि स्मार्ट फॉरेस्ट्स के सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों को प्रमुखता दी जाए और यह सिफारिशें की जाएं कि ऐसे परियोजनाएं कैसे समुदाय-आधारित, प्रभावशाली और न्यायसंगत बनाई जा सकती हैं। समानता-आधारित समुदाय भागीदारी के लिए यह स्वीकार करना आवश्यक है कि डिजिटल तकनीकें अकेले नहीं, बल्कि अन्य गैर-डिजिटल तकनीकों और प्रणालियों के साथ मिलकर कार्य करती हैं। इनमें पूर्वजों की पारंपरिक, स्थानीय, पारिस्थितिक या एनालॉग वानिकी तकनीकें शामिल हो सकती हैं। केवल डिजिटल तकनीकों से प्राप्त ज्ञान पर निर्भर रहने से वन-जीवन को जानने और उसमें रहने के अन्य जरूरी तरीकों की अनदेखी हो सकती है।
जहाँ ये तकनीकें आमतौर पर पर्यावरणों की निगरानी, सुरक्षा और निर्माण की सकारात्मक मंशा के साथ आती हैं, वहीं इनके सामाजिक और पर्यावरणीय दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। हमारे साहित्य समीक्षा और साक्षात्कारों ने यह उजागर किया कि ये तकनीकें बड़ी मात्रा में ऊर्जा की खपत करती हैं चाहे वह डेटा संग्रहण, उपकरणों के निर्माण व संचालन, या अवसंरचना की स्थापना में हो, हार्डवेयर निर्माण अक्सर दुर्लभ खनिजों जैसे संसाधनों पर आधारित होता है, स्मार्ट फॉरेस्ट तकनीकें इलेक्ट्रॉनिक कचरे का उत्पादन करती हैं जिससे प्रदूषण और इलेक्ट्रॉनिक जीवनचक्र में मलबे की समस्या उत्पन्न होती है, और यह पुराने उपग्रहों के मलबे के रूप में भी पृथ्वी की परिक्रमा में शामिल हो सकता है, एक शोध सहभागी ने यह प्रश्न उठाया कि निगरानी तकनीकें वास्तव में कितनी अप्रभावी हैं उदाहरण के लिए, कैमरा ट्रैप्स जैसी डिवाइसेज़ वन्य जीवों के व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं। हम मानते हैं कि ये सभी विषय आगे और गहराई से शोध किए जाने योग्य हैं।
स्मार्ट फॉरेस्ट्स शोध समूह चार केस स्टडी समुदायों के साथ जुड़ाव बनाए रखते हुए अब यूनाइटेड किंगडम में एक पाँचवें केस स्टडी पर कार्य आरंभ कर रहा है। हम चाहते हैं कि हमारे निष्कर्षों और सिफारिशों पर तकनीकी और अकादमिक दायरे से बाहर भी सक्रिय संवाद हो। यह रिपोर्ट एक सतत विकासशील दस्तावेज़ है, जिसे हम ज्ञान-विनिमय कार्यशालाओं के माध्यम से विस्तार दे रहे हैं, जिनमें हम यह खोज कर रहे हैं कि यह शोध वनों से जुड़े समुदायों, नीति निर्माताओं, उद्योग प्रतिनिधियों, शोधकर्ताओं और NGOs के साथ कैसे सबसे प्रभावी रूप से साझा किया जा सकता है। इस रिपोर्ट के अतिरिक्त, हम अपने निष्कर्षों को स्मार्ट फोरेस्ट्स वेबसाइट, रेडियो, फिल्मों, और इंटरैक्टिव स्मार्ट फोरेस्ट्स एटलस के माध्यम से व्यापक रूप से साझा कर रहे हैं। यदि आप हमारे शोध पर चर्चा करना चाहते हैं, तो कृपया संपर्क करें: info@smartforests.net.


स्वीकृतियाँ
इस परियोजना को यूरोपीय संघ के होराइजन 2020 अनुसंधान और नवाचार कार्यक्रम (अनुदान समझौता संख्या 866006) के अंतर्गत यूरोपीय अनुसंधान परिषद (ईआरसी) और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान प्रभाव कोष (एसएसआईएफ) से वित्त पोषण प्राप्त हुआ है।
इस शोध का व्यापक संदर्भ स्मार्ट फॉरेस्ट्स शोध समूह द्वारा किए गए सामूहिक साक्षात्कारों के माध्यम से विकसित किया गया है, जिसमें केट लुईस हूड, मैक्स रिट्स और डेनिलो उर्जेडो शामिल हैं। स्मार्ट फॉरेस्ट परियोजना के लिए परियोजना प्रशासन और समर्थन प्रदान करने के लिए यवोन मार्टिन-पोर्टुगुएस को धन्यवाद, स्मार्ट फॉरेस्ट एटलस के निरंतर रखरखाव और समर्थन में योगदान देने के लिए नोएल चुंग को धन्यवाद, साथ ही स्मार्ट फॉरेस्ट एटलस के डिजाइन और विकास के लिए कॉमन नॉलेज को धन्यवाद तथा वनों और प्रौद्योगिकियों के विकास पर अंतर्दृष्टि जोड़ने के लिए एटलस योगदानकर्ताओं को धन्यवाद। स्मार्ट फॉरेस्ट्स परियोजना फिल्म की रचना के लिए माइंड द फिल्म को अतिरिक्त धन्यवाद देना चाहिए , जिसमें से हमने इस रिपोर्ट में कई चित्र शामिल किए हैं।
इस रिपोर्ट को सूचित करने वाले अनुसंधान, कार्यक्रमों, सैर और फील्ड स्कूलों में योगदान देने वाले समुदायों को हार्दिक धन्यवाद, जिनमें फंडासियोन मार एडेंट्रो शामिल हैं: बोस्क पेहुएन, बारबरा एसेवेडो, सेबेस्टियन कैरास्को, माया एराज़ुरिज़, फेलिप गार्डा, मैडलिन हर्टाडो, पामेला इग्लेसियस, अमेरिंडिया जारामिलो, फर्नांडा लोपेज़ क्विलोड्रान, वेलेरिया पाल्मा, जियाना सलामांका, पाब्लो गोंजालेज रिवास, पाउला टिएरा टोरेस, एम्पारो इराज़ावल बस्टोस, बर्नार्डिटा पेरेज़, मारिया जेसुएस ओलिवोस, वायलेटा बस्टोस, रॉबर्टो रायमोन; यूनिवर्सिडैड डे ला फ्रोंटेरा: पाओला अरोयो वर्गास, एन्ड्रेस फ़्यूएंटेस, कैरोलिना नवरेटे गोंजालेज, अल्वारो सानहुएज़ा; विलारिका राष्ट्रीय उद्यान: फेलिप ओर्टेगा; एजेंसिया डी बोर्डे: मारिया रोसारियो मोंटेरो, सेबेस्टियन मेलो, पाउला सालास; अल्टोस डी कैंटिलाना: फर्नांडा रोमेरो; आर्टुरो अहुमादा; केकेआई वारसी: एमी प्राइमाडोना, फैमिलिया जुनियार्ति, ज़ुपनी, जुनैदी, इहसान, खैरुनास; ईकडॉर्प बोएकेल, एड वेलेम्स, मैरीके मेस्टर्स, मार्टेन शूनमैन, बौडविज़न टॉरनेट, सन्ने रास, एनीमेरी हेंड्रिक्सन, अली मुताहर, कैटन क्लस्टर, हुइस्मुसेन नॉट, बायोडायवर्सिटिट्सलीहेबर्स; वन गुज्जर आदिवासी युवा संगठन: मोहम्मद मीर हमजा, प्रणव मेनन; हिंदी अनुवाद: प्रभा जाजू।
संदर्भ और संसाधन
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स्मार्ट वन के बारे में
स्मार्ट फॉरेस्ट परियोजना का नेतृत्व प्रोफेसर जेनिफर गेब्रिएस कर रही हैं और यह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग स्थित प्लैनेटरी प्रैक्सिस अनुसंधान समूह का हिस्सा है। यह परियोजना मुख्यतः यूरोपीय अनुसंधान परिषद (ईआरसी) द्वारा वित्त पोषित है। यह परियोजना डिजिटल प्रौद्योगिकियों के सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों की जांच करती है, जो दुनिया भर में वनों को नियंत्रित, प्रबंधित और निगरानी करती हैं, तथा यह पूछती है कि इन प्रौद्योगिकियों द्वारा वनों का पुनर्निर्माण किस प्रकार किया जाता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी अध्ययन (एसटीएस) और डिजिटल मीडिया अध्ययन को पार करते हुए, डिजिटल प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान ने अवलोकन, भागीदारी, डेटाफिकेशन, स्वचालन और अनुकूलन, तथा विनियमन और परिवर्तन के विषयों का अनुसरण किया है। विभिन्न स्मार्ट वन प्रौद्योगिकियां किस प्रकार सामाजिक, राजनीतिक और पारिस्थितिक संबंधों को प्रभावित करती हैं, इसका पता लगाने के माध्यम से, परियोजना अंततः अधिक न्यायसंगत डिजिटल और पर्यावरणीय नीति और व्यवहार के लिए संभावनाओं का सुझाव देने का प्रयास करती है।
इस रिपोर्ट में उल्लिखित कहानियों, उदाहरणों और साक्षात्कारों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने या स्मार्ट फॉरेस्ट्स परियोजना के बारे में विस्तार से जानने के लिए, कृपया देखें https://atlas.smartforests.net और https://smartforests.net
स्मार्ट फॉरेस्ट्स परियोजना पर आधारित लघु फिल्म देखने के लिए कृपया देखें
https://smartforests.net/smart-forests-film.
स्मार्ट फॉरेस्ट्स से संबंधित लॉगबुक्स पढ़ने के लिए कृपया देखें https://atlas.smartforests.net/en/logbooks.
स्मार्ट फॉरेस्ट्स रेडियो पॉडकास्ट सुनने के लिए कृपया देखें https://atlas.smartforests.net/en/radio.
स्मार्ट फॉरेस्ट्स मानचित्र को देखने के लिए कृपया देखें https://atlas.smartforests.net/en/map.
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स्मार्ट फॉरेस्ट की सामग्रियों का उपयोग गैर-वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए (संदर्भ के साथ) CC BY-NC-ND 4.0 लाइसेंस के तहत निःशुल्क किया जा सकता है।
इसरिपोर्टकाहवालादें: हैमिल्टन-जोन्स, फोबे, जेनिफरगेब्रिएस, मिशेलवेस्टरलेकन, युतिअरियानीफातिमा, त्रिशांतसिमलाईऔरनोएलचुंग, समुदाय-नेतृत्ववालीवनप्रौद्योगिकियाँ: एकस्मार्टवनअंतरिमरिपोर्ट (18 फरवरी 2025), https://publications.smartforests.net/hi/community-led-forest-technologies.
क्रेडिट
फ़ॉन्ट्स: मोनाको, मार्र ( वाणिज्यिक प्रकार )
डिज़ाइन प्रक्रिया: paged.js के साथ वेब से प्रिंट तक
ग्राफिक डिजाइन: एंजेलिन ओस्टिनेली और सारा गार्सिन
प्रोग्रामिंग: सारा गार्सिन